देश में राजमार्ग टोल संग्रह प्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। फास्टैग को नई प्रणाली से प्रतिस्थापित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने फास्टैग और टोल सिस्टम को लेकर बड़ा ऐलान किया है, जिससे देश में हाईवे पर टोल वसूली का तरीका पूरी तरह बदल सकता है। नितिन गडकरी ने सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि केंद्र सरकार अगले 15 दिनों के भीतर नई टोल नीति लेकर आ रही है और जब यह नीति लागू हो जाएगी तो किसी को भी टोल को लेकर शिकायत नहीं करनी पड़ेगी।
जीपीएस आधारित टोल प्रणाली शुरू की जाएगी
जीपीएस आधारित टोल प्रणाली में वाहनों में ऑन-बोर्ड यूनिट (ओबीयू) नामक डिवाइस लगाई जाएगी जो अब तक चल रही फास्टैग प्रणाली की जगह लेगी। यह डिवाइस जीएनएसएस यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम तकनीक के जरिए वाहन की गतिविधियों पर नजर रखेगी। जब कोई वाहन राजमार्ग पर चलता है तो उसके द्वारा तय की गई दूरी OBU के माध्यम से दर्ज की जाएगी। टोल की राशि तदनुसार तय की जाएगी और सीधे चालक के बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से काट ली जाएगी।
यानी आप हाईवे पर जितनी दूरी तय करेंगे, टोल आपके खाते से अपने आप कट जाएगा। खास बात यह है कि लोगों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। शुरुआत में यह प्रणाली ट्रकों और बसों जैसे बड़े वाहनों पर लागू की जाएगी, फिर धीरे-धीरे इसे सभी निजी वाहनों और ट्रेनों पर लागू किया जाएगा। यह प्रणाली भारत के अपने उपग्रह NavIC पर चलेगी, जिससे डेटा देश में ही सुरक्षित रहेगा।
फास्टैग से जीपीएस यात्रा
FASTag (इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह) को भारत में 2016 में पेश किया गया था, ताकि आप बिना रुके टोल प्लाजा से बाहर निकल सकें, FASTag का उद्देश्य लोगों का समय बचाना था। इसमें आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक का उपयोग किया गया है। वाहन के विंडशील्ड पर एक टैग लगाया जाता है और टोल प्लाजा पर स्कैनर द्वारा टैग को स्कैन किया जाता है। इससे टोल स्वतः ही कट जाता है और कार बिना रुके टोल पार कर जाती है। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में लोगों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे भीड़भाड़, तकनीकी गड़बड़ियां और कुछ लोगों द्वारा टैग का गलत इस्तेमाल करना। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार आधुनिक प्रणाली पर ध्यान दे रही है।