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10 लाख रुपए से अधिक कीमत वाले सभी लग्जरी आइटम्स पर लगेगा 1% TCS, जान लें नए नियम

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​केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 22 अप्रैल 2025 से 10 लाख रुपये से अधिक मूल्य वाली लग्ज़री वस्तुओं पर 1% टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (TCS) लागू करने की अधिसूचना जारी की है। इस कदम का उद्देश्य उच्च मूल्य वाले लेन-देन की निगरानी बढ़ाना, कर अनुपालन में सुधार करना और कर आधार को व्यापक बनाना है। ​

क्या है नया TCS नियम?

अब, यदि आप निम्नलिखित लग्ज़री वस्तुओं में से कोई एक 10 लाख रुपये या उससे अधिक में खरीदते हैं, तो विक्रेता आपको 1% TCS वसूल करेगा:​

  1. कलाई घड़ी (Wristwatch)

  2. कला के सामान जैसे पेंटिंग, मूर्तियां, प्राचीन वस्तुएं (Art pieces)

  3. संग्रहणीय वस्तुएं जैसे सिक्के, स्टांप (Collectibles)

  4. नौका, हेलीकॉप्टर, रोइंग बोट (Yachts, helicopters, rowing boats)

  5. धूप का चश्मा (Sunglasses)

  6. हैंडबैग, पर्स (Handbags, purses)

  7. जूते (Shoes)

  8. स्पोर्ट्सवियर और उपकरण जैसे गोल्फ किट, स्की-वियर (Sportswear and equipment)

  9. होम थिएटर सिस्टम (Home theatre systems)

  10. घोड़े जो रेसिंग या पोलो के लिए उपयोग होते हैं (Horses for racing or polo

यह नियम 22 अप्रैल 2025 से प्रभावी है। ​

TCS का क्या अर्थ है और यह कैसे काम करता है?

  • TCS वह टैक्स है जो विक्रेता द्वारा खरीदार से बिक्री के समय वसूला जाता है और सरकार को जमा किया जाता है।

  • यह टैक्स खरीदार के पैन नंबर से जोड़ा जाता है और Form 26AS में दिखता है।

  • जब खरीदार अपनी आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करता है, तो वह इस TCS को टैक्स क्रेडिट के रूप में उपयोग कर सकता है।

  • यदि खरीदार का टैक्स दायित्व TCS से कम है, तो उसे अतिरिक्त राशि की वापसी मिल सकती है। ​

खरीदारों के लिए क्या ध्यान देने योग्य है?

  • केवाईसी (KYC) प्रक्रिया को पूरा करना आवश्यक हो सकता है।

  • विक्रेता से TCS रसीद प्राप्त करें और उसे अपने रिकॉर्ड में रखें।

  • सुनिश्चित करें कि विक्रेता TCS को आपके पैन नंबर से जोड़कर सरकार को जमा करता है।

  • आयकर रिटर्न दाखिल करते समय इस TCS को टैक्स क्रेडिट के रूप में दावा करें।​

विक्रेताओं के लिए क्या जिम्मेदारियां हैं?

  • TCS की वसूली और सरकार को जमा करना।

  • Form 27EQ में TCS विवरण दाखिल करना।

  • खरीदार को TCS प्रमाणपत्र प्रदान करना।

  • यदि TCS वसूली नहीं की जाती है, तो विक्रेता को जुर्माना और ब्याज का सामना करना पड़ सकता है।

इस कदम के उद्देश्य

  • च्च मूल्य वाले लेन-देन की निगरानी बढ़ाना।

  • कर अनुपालन में सुधार करना।

  • कर आधार को व्यापक बनाना।

  • हाई-नेट-वर्थ व्यक्तियों (HNIs) के खर्चों पर ध्यान केंद्रित करना।​

निष्कर्ष

यह नया TCS नियम उच्च मूल्य वाली लग्ज़री वस्तुओं की खरीदारी में पारदर्शिता और कर अनुपालन को बढ़ावा देगा। खरीदारों और विक्रेताओं दोनों को इस नियम की जानकारी होना आवश्यक है ताकि वे अपने कर दायित्वों को सही तरीके से पूरा कर सकें।​

यदि आपको इस नियम के बारे में और जानकारी चाहिए या आपको यह समझने में कोई कठिनाई हो रही है, तो कृपया बताएं। मैं आपकी सहायता करने के लिए तैयार हूं।

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