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2 मिनट के इस वीडियो में जानें आखिर कैसे गायत्री मंत्र सुनने की कट जाते है हर पाप?

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सनातन संस्कृति के धार्मिक शास्त्रों में देवी गायत्री को बहुत महत्व दिया गया है। शास्त्रों में मान्यता है कि गायत्री मंत्र को समझने मात्र से ही चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। देवी गायत्री की आराधना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी गायत्री को चारों वेदों की माता माना जाता है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इसी कारण गायत्री मंत्र को वेदों का सार भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त करने के बाद मनुष्य को जो पुण्य फल प्राप्त होते हैं, वही पुण्य फल अकेले गायत्री मंत्र को समझने मात्र से मनुष्य को चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। मां गायत्री को सनातन संस्कृति की जननी भी माना जाता है।

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ओम भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं ।

भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।।

ऐसा माना जाता है कि देवी गायत्री चारों वेदों, शास्त्रों और श्रुतियों की जननी हैं। वेदों की माता होने के कारण इन्हें वेदमाता भी कहा जाता है। इन्हें त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराध्य देवी भी माना जाता है, इसलिए देवी गायत्री न केवल वेदों की माता हैं, बल्कि देवताओं की माता भी हैं। गायत्री माता ब्रह्माजी की दूसरी पत्नी हैं, इन्हें पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी का अवतार भी कहा जाता है।

इस प्रकार हुआ था देवी गायत्री का विवाह

शास्त्रों में कथा आती है कि एक बार ब्रह्माजी यज्ञ में भाग लेने जा रहे थे। यदि पत्नी यज्ञ जैसे धार्मिक कार्यों में भाग लेती है तो उसे पूर्ण फल मिलता है, लेकिन उस समय उनकी पत्नी सावित्री उनके साथ नहीं थीं, इसलिए अपनी पत्नी के साथ यज्ञ में भाग लेने के लिए उन्होंने देवी गायत्री से विवाह किया।

गायत्री मंत्र का लिप्यंतरण

ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में गायत्री मंत्र ब्रह्मा जी को प्रकट हुआ था। इसके बाद ब्रह्मा जी ने देवी गायत्री की कृपा से अपने चारों मुखों से गायत्री मंत्र की चार वेदों के रूप में व्याख्या की। प्रारम्भ में गायत्री मंत्र केवल देवताओं के लिए था। बाद में महर्षि विश्वामित्र ने अपनी कठोर तपस्या से गायत्री मंत्र को आम लोगों तक पहुंचाया।

गायत्री मंत्र की महिमा अपरंपार है।

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गायत्री मंत्र की महिमा अपरंपार है। इस मंत्र के जाप मात्र से ही अनेक प्रकार के पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं। गायत्री मंत्र का जप करने से पुण्य फल में वृद्धि होती है और कार्यों में सफलता मिलती है। इसलिए शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जप के नियम बताए गए हैं। विशेष अवसरों पर इसका जप करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। गायत्री मंत्र के जाप से व्यापार, नौकरी, संतान प्राप्ति एवं कष्टों से मुक्ति में लाभ मिलता है।

गायत्री मंत्र के लाभ

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1. इस मंत्र का जाप करने से विद्यार्थियों को विद्याध्ययन में उत्तम सफलता मिलती है। पढ़ाई करते समय दिमाग तेज होता है और याददाश्त तेज होती है, जिससे परीक्षा में सफलता मिलती है। विद्यार्थी जीवन में सफलता के लिए गायत्री मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं।
2. गायत्री मंत्र भी व्यापार में सफलता के लिए बहुत कारगर है। व्यापारियों के इस मंत्र का जाप करने से खर्चों पर नियंत्रण रहता है और आय में वृद्धि हो सकती है। इसके लिए शुक्रवार के दिन हाथी पर बैठकर गायत्री मंत्र का ध्यान करने और ‘श्री’ का मुखौटा लगाकर इसका जाप करने से आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
3. संतान प्राप्ति के लिए दंपत्ति को श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए तथा ‘यौं’ मंत्र के साथ गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इस उपाय से संतान प्राप्ति के साथ-साथ यदि संतान है और रोगी बीमार है तो संतान रोग से मुक्त हो सकता है।
4. शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए अमावस्या, रविवार या मंगलवार को लाल वस्त्र धारण कर देवी दुर्गा का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें तथा ‘क्लीं’ मंत्र का तीन बार जाप करें।
5. विवाह में सफलता के लिए विवाह योग्य युवक-युवतियां पीले वस्त्र पहनें, देवी पार्वती का ध्यान करें, ‘ह्रीं’ लगाएं तथा गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं।

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