आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप 2003 के फाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम ने अपनी जगह पक्की की थी, लेकिन उस टूर्नामेंट के दौरान एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ था कि आखिर टीम में जगह पाने वाले खिलाड़ी कौन होंगे। उस वक़्त भारतीय टीम में कई बड़े नाम शामिल थे, जिनमें से एक नाम था वीवीएस लक्ष्मण का, जो भारतीय क्रिकेट के सबसे काबिल बल्लेबाजों में से एक माने जाते हैं। लेकिन उस टूर्नामेंट में लक्ष्मण को शामिल नहीं किया गया, और उनकी जगह सौरव गांगुली ने दिनेश मोंगिया को टीम में जगह दी थी।
यह घटना काफी चर्चा का विषय बनी, और तब से ही यह सवाल किया जाता रहा कि आखिर क्यों सौरव गांगुली ने लक्ष्मण को वर्ल्ड कप टीम से बाहर किया। अब, लगभग दो दशकों बाद, भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने इस मामले पर चुप्पी तोड़ी है और अपनी स्थिति साफ की है।
गांगुली का बयान
हाल ही में एक इंटरव्यू में गांगुली ने वीवीएस लक्ष्मण को वर्ल्ड कप टीम से बाहर करने के बारे में कहा, “यह एक कठिन निर्णय था, लेकिन मैं हमेशा टीम के संतुलन और स्थिति को ध्यान में रखते हुए फैसले लेता था। उस समय, टीम के लिए जरूरी था कि हम एक खिलाड़ी को लें जो अधिक आक्रामक और मध्यक्रम में फ्लेक्सिबल हो, और मुझे लगा कि दिनेश मोंगिया उस समय हमारी जरूरतों के हिसाब से ज्यादा फिट थे।”
गांगुली ने यह भी स्वीकार किया कि लक्ष्मण के रूप में एक शानदार बल्लेबाज को नजरअंदाज करना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने यह फैसला टीम के सामूहिक हित में लिया था। उन्होंने कहा, “लक्ष्मण एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं, लेकिन वर्ल्ड कप के दौरान हमें कुछ अलग जरूरतों को पूरा करना था। मुझे लगता है कि वह टीम का हिस्सा बनकर भी टूर्नामेंट में अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाते, जैसा कि मोंगिया ने किया।”
वीवीएस लक्ष्मण का नजरिया
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि वीवीएस लक्ष्मण ने कभी भी इस फैसले पर खुलकर बात नहीं की, लेकिन उन्होंने समय-समय पर यह ज़रूर कहा है कि वह टीम का हिस्सा बनने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे थे। हालांकि, लक्ष्मण ने हमेशा अपने कूल और विनम्र रवैये को बनाए रखा और कभी भी इस फैसले को लेकर किसी प्रकार की नाराजगी नहीं जताई।
फैसले के बाद का असर
2003 के वर्ल्ड कप फाइनल में टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। इस हार के बावजूद, भारत ने अपनी क्रिकेटing काबिलियत को साबित किया। हालांकि, गांगुली द्वारा लिए गए उस विवादास्पद फैसले के बाद, लक्ष्मण ने अपनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट यात्रा पर ध्यान केंद्रित किया और उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से भारतीय क्रिकेट को और भी ऊंचाईयों तक पहुंचाया।
लक्ष्मण ने अपनी करियर में भारत के लिए कई यादगार पारी खेली, और विशेषकर 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में उनकी ऐतिहासिक पारी क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी।