नई दिल्ली। वैश्विक कीमती धातुओं के बाजार में बड़ा बदलाव आने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग दिग्गज सिटीग्रुप (Citigroup) ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में 2025 तक चांदी की कीमत में 13% की तेज़ वृद्धि और 2026 तक सोने की कीमत में लगभग 25% की गिरावट का पूर्वानुमान जताया है। यह अनुमान निवेश बाजार और पोर्टफोलियो रणनीति में बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है।
क्यों बढ़ेगी चांदी की कीमत?
सिटीग्रुप के विश्लेषकों के अनुसार, चांदी की वैश्विक आपूर्ति में लगातार पांचवे साल कमी दर्ज की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में मांग 1.20 बिलियन औंस तक पहुंच सकती है, जबकि आपूर्ति 1.05 बिलियन औंस तक सीमित रह सकती है। इस आपूर्ति-अभाव की स्थिति में निवेशकों का रुझान चांदी की ओर बढ़ेगा, जिससे इसकी कीमत में उछाल आना तय माना जा रहा है। सिटी रिपोर्ट में कहा गया है, “हम मानते हैं कि लगातार डिफिसिट (घाटे) के वर्षों के कारण चांदी की उपलब्धता और सख्त होगी। स्टॉकहोल्डर अब ऊँची कीमतों पर ही बेचने के लिए तैयार होंगे और निवेशकों की मांग मजबूत बनी रहेगी।”
औद्योगिक मांग बढ़ा रही है चांदी का महत्व
चांदी न सिर्फ एक मौद्रिक संपत्ति (monetary asset) है, बल्कि यह औद्योगिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, और इलेक्ट्रिफिकेशन जैसे क्षेत्रों में चांदी की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। इन क्षेत्रों में अब चांदी की खपत कुल वैश्विक मांग का आधे से अधिक हो चुकी है। यह ट्रेंड आने वाले वर्षों में भी जारी रहने की उम्मीद है, विशेषकर ग्रीन एनर्जी और रिन्यूएबल टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग के चलते।
गोल्ड-सिल्वर रेशियो में बदलाव
गोल्ड-सिल्वर रेशियो, जो दर्शाता है कि एक औंस सोना खरीदने के लिए कितनी औंस चांदी की जरूरत है, उसमें भी बड़ा बदलाव देखा गया है। जनवरी 2025 में यह अनुपात करीब 100 के स्तर पर था, जो अब 85 तक गिर चुका है। Citi के मुताबिक, यह बदलाव बताता है कि चांदी की कीमतों में अभी और तेजी आ सकती है क्योंकि लॉन्ग-टर्म एवरेज 70 के आसपास रहता है। फिलहाल चांदी की कीमत लगभग $38 प्रति औंस है, जो पिछले एक महीने में 3% और पिछले एक साल में 24% की बढ़त दर्ज कर चुकी है। Citi ने अल्पकालिक अनुमान $40 प्रति औंस और दीर्घकालिक अनुमान $43 प्रति औंस दिया है, जो अगले 6–12 महीनों में संभव माना जा रहा है।
सोने की चमक क्यों हो रही है फीकी?
दूसरी ओर, सोने की कीमतों को लेकर सिटीग्रुप ने निराशाजनक अनुमान प्रस्तुत किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2026 तक सोने की कीमतों में 25% की गिरावट आ सकती है। हालांकि 2025 की शुरुआत में सोने की कीमत में 27% की वृद्धि दर्ज की गई थी, जो केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और ETF फंड फ्लो के कारण हुआ था। लेकिन आगामी तिमाहियों में यह तेजी टिकने की संभावना कम है। Citi के प्रमुख विश्लेषक मैक्स लेटन (Max Layton) ने बताया कि गोल्ड की कीमत 3000 डॉलर प्रति औंस के ऊपर कुछ समय तक टिकेगी, लेकिन 2026 के दूसरे हिस्से में यह घटकर $2500–$2700 प्रति औंस तक आ सकती है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
इस रिपोर्ट के आने के बाद निवेशकों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या अब सोना छोड़कर चांदी में निवेश करना अधिक लाभदायक रहेगा? Citi के अनुसार, यह सिर्फ एक कैच-अप ट्रेड नहीं है, बल्कि चांदी के मजबूत मौलिक पक्ष (fundamentals) इसे दीर्घकालिक निवेश के लिए अधिक आकर्षक बना रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि पारंपरिक ‘सेफ हेवन’ एसेट के रूप में सोने का प्रभुत्व अब चुनौतीपूर्ण हो सकता है। औद्योगिक जरूरतों और हरित ऊर्जा की दिशा में बढ़ते कदम चांदी को एक नई निवेश श्रेणी के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
बाजार में संभावित असर
यदि Citi की भविष्यवाणी सही साबित होती है, तो निवेशकों की रणनीतियों में बड़ा बदलाव आएगा। पारंपरिक पोर्टफोलियो में सोने को मुख्यतः जोखिम से बचाने वाली संपत्ति माना जाता रहा है, लेकिन यदि इसकी कीमतों में गिरावट आती है, तो यह भूमिका कमजोर हो सकती है। वहीं, चांदी की बढ़ती मांग इसे दोहरी भूमिका (औद्योगिक और मौद्रिक) में आगे ला रही है। इसके चलते निवेश पोर्टफोलियो में चांदी का वज़न बढ़ाया जा सकता है। 2025–2026 की अवधि में चांदी का भविष्य उज्जवल नजर आ रहा है, जबकि सोने की चमक कुछ हद तक फीकी पड़ सकती है। हालांकि, कीमती धातुओं का बाजार अनेक वैश्विक कारकों से प्रभावित होता है, इसलिए किसी भी निवेश से पहले विशेषज्ञ सलाह लेना जरूरी होगा। सिटीग्रुप की यह रिपोर्ट निवेशकों के लिए एक संकेतक है कि बदलते दौर में नई रणनीति की जरूरत है। पारंपरिक सोच से हटकर यदि चांदी को प्राथमिकता दी जाती है, तो यह दीर्घकालिक लाभ का रास्ता खोल सकता है। वहीं, सोने में निवेश करने वालों को आने वाले समय में सतर्क रहने की आवश्यकता है।