Home खेल 2027 वर्ल्ड कप और ब्रोंको टेस्ट: रोहित शर्मा पर मंडराते सवाल

2027 वर्ल्ड कप और ब्रोंको टेस्ट: रोहित शर्मा पर मंडराते सवाल

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अगला वनडे वर्ल्ड कप 2027 में खेला जाएगा। तब तक भारतीय टीम के मौजूदा कप्तान रोहित शर्मा की उम्र 40 साल से ऊपर हो जाएगी। ऐसे में उनकी फिटनेस और टीम में जगह को लेकर चर्चा तेज हो गई है। हाल ही में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों के लिए नया ‘ब्रोंको टेस्ट’ शुरू किया है, जिसे फिटनेस आकलन का अहम पैमाना माना जा रहा है। इस टेस्ट की शुरुआत इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ के दौरान खिलाड़ियों की फिटनेस समस्याओं, खासकर तेज गेंदबाज़ों की चोटों के बाद की गई। इसका उद्देश्य खिलाड़ियों की एरोबिक क्षमता बढ़ाना और उन्हें उच्च स्तर की फिटनेस बनाए रखने के लिए प्रेरित करना है। लेकिन, पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ मनोज तिवारी का मानना है कि यह टेस्ट लाने के पीछे छिपा हुआ एजेंडा भी हो सकता है—और वह है, रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों को धीरे-धीरे टीम प्लानिंग से बाहर करना।

मनोज तिवारी का दावा

मनोज तिवारी ने क्रिकट्रैकर से बातचीत में कहा:

  • “मुझे लगता है कि विराट कोहली को 2027 वर्ल्ड कप की योजनाओं से बाहर करना मुश्किल होगा, लेकिन रोहित शर्मा को उस प्लानिंग में शामिल करना आसान नहीं होगा। ब्रोंको टेस्ट उसी दिशा में एक कदम है। रोहित भले ही भारत के सबसे फिट खिलाड़ी न हों, लेकिन उनका प्रदर्शन शानदार है, जिस कारण उन्हें बेंच पर बिठाना नामुमकिन है।”

मनोज का तर्क है कि ब्रोंको टेस्ट को उसी तरह लाया गया है, जैसे 2011 वर्ल्ड कप के बाद यो-यो टेस्ट लागू किया गया था। उनका मानना है कि इस तरह के फिटनेस पैमाने सिर्फ खिलाड़ियों की फिटनेस जांचने के लिए नहीं, बल्कि कभी-कभी कुछ खिलाड़ियों को किनारे करने के लिए भी लाए जाते हैं।

ब्रोंको टेस्ट के पीछे कौन?

मनोज तिवारी ने यह भी सवाल उठाया कि यह टेस्ट अभी क्यों शुरू किया गया।

  • जुलाई में गौतम गंभीर भारतीय टीम के नए हेड कोच बने थे।

  • जून में टीम इंडिया के नए स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स जुड़े।

  • ले रॉक्स के टीम में आते ही ब्रोंको टेस्ट को लागू किया गया।

तिवारी का कहना है कि यह समय कुछ संदेह खड़ा करता है। उन्होंने पूछा कि जब गंभीर कोच बने थे, तब पहली सीरीज़ से ही इसे क्यों नहीं शुरू किया गया? आखिर अचानक यह फैसला क्यों लिया गया?

ब्रोंको टेस्ट कितना कठिन है?

मनोज तिवारी के मुताबिक, ब्रोंको टेस्ट भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे कठिन फिटनेस टेस्ट में से एक है। इसमें खिलाड़ी की स्टैमिना और सहनशक्ति का असली आकलन होता है। यह टेस्ट मुख्य रूप से खिलाड़ियों की एरोबिक क्षमता मापने के लिए तैयार किया गया है। क्रिकेट जैसे लंबे और तेज़ खेल में यह बेहद ज़रूरी भी है। लेकिन सवाल यही है कि क्या यह रोहित शर्मा जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों के करियर को प्रभावित करेगा?

तिवारी का दोहरा नजरिया

मनोज तिवारी ने एक ओर ब्रोंको टेस्ट की आलोचना की, तो दूसरी ओर उसके फायदे भी गिनाए।

  • उनके मुताबिक, यह टेस्ट टीम इंडिया में फिटनेस का स्तर ऊंचा करने के लिए सही कदम है।

  • लेकिन साथ ही, यह भी संभव है कि इसका इस्तेमाल कुछ खिलाड़ियों को बाहर रखने के लिए किया जाए।

उन्होंने 2011 का उदाहरण देते हुए कहा कि जब भारत वर्ल्ड कप जीता था, तब कई दिग्गज खिलाड़ी (जैसे गंभीर, सहवाग, युवराज) शानदार प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन उसके तुरंत बाद फिटनेस पैमाना बदल गया और धीरे-धीरे उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा।

रोहित शर्मा का भविष्य

रोहित शर्मा वर्तमान में 38 साल के हैं और अभी भी टीम इंडिया के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ और कप्तान माने जाते हैं। लेकिन 2027 तक उनकी उम्र और फिटनेस पर सवाल उठना लाज़मी है। यदि ब्रोंको टेस्ट भारतीय टीम की चयन प्रक्रिया का मुख्य हिस्सा बन जाता है, तो रोहित के लिए चुनौती और बढ़ जाएगी। उन्हें अपने खेल के साथ-साथ फिटनेस पर भी कड़ी मेहनत करनी होगी।

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