बिज़नेस न्यूज़ डेस्क – सरकार 10 फरवरी को लोकसभा में नया आयकर विधेयक पेश करेगी। इसे 7 फरवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की उम्मीद है। सरकार इस विधेयक को जल्द ही संसद में पारित कराने की कोशिश करेगी। इसके लागू होने से छह दशक से भी ज्यादा पुराना आयकर अधिनियम, 1961 खत्म हो जाएगा। नए आयकर नियम और कानून इस्तेमाल होने लगेंगे। आयकर नियमों को डायरेक्ट टैक्स कोड भी कहा जाता है।
वित्त मंत्री ने पिछले साल जुलाई में की थी घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार का फोकस टैक्स नियमों को सरल बनाने पर रहा है। डायरेक्ट टैक्स कोड को लेकर चर्चा कई साल पहले शुरू हुई थी। लेकिन, इस संबंध में एक बड़ी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई, 2024 को पेश किए गए केंद्रीय बजट में की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार आयकर अधिनियम, 1961 की समीक्षा करेगी। उन्होंने कहा था कि इसका उद्देश्य ऐसे कानून बनाना है जो ठोस हों और पढ़ने और समझने में आसान हों।
विवादित कर मामलों की संख्या में कमी आएगी
वित्त मंत्री ने कहा था कि आयकर नियमों की समीक्षा का काम छह महीने में पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने एक समिति बनाई थी। सरकार का मानना है कि कर नियमों को सरल बनाने से विवादित कर मामलों की संख्या में कमी आएगी। कर नियमों का पालन करने में लोगों की रुचि बढ़ेगी। एक अनुमान के मुताबिक, विवादित प्रत्यक्ष कर मामलों की संख्या करीब 2.7 करोड़ है, जिसमें करीब 35 लाख करोड़ रुपये फंसे हुए हैं।
नए नियम पढ़ने और समझने में आसान होंगे
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 60 सालों में सरकार ने आयकर नियमों में कई बदलाव किए हैं। इसके चलते आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधान, जिसमें 298 धाराएं और 23 अध्याय हैं, काफी जटिल हो गए हैं। ये आयकर नियम न सिर्फ करदाताओं के लिए बल्कि कर प्रशासन के लिए भी जटिल हो गए हैं। नए आयकर विधेयक में इसी जटिलता को खत्म करने की कोशिश की गई है। नए नियम इस तरह से बनाए गए हैं कि इन्हें पढ़ना और समझना काफी आसान होगा। इन्हें तैयार करने में अंतरराष्ट्रीय कानून के मानकों को भी ध्यान में रखा गया है।
अनावश्यक टैक्स नियमों को खत्म किया जाएगा
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार का फोकस ऐसे नियमों को सरल बनाने पर है, जो काफी जटिल हैं। इनमें आयकर के लिहाज से निवास से जुड़े कानून भी शामिल हैं। दूसरा उदाहरण कैपिटल गेन टैक्स के नियमों का है। हालांकि, सरकार ने पिछले साल बजट में कैपिटल गेन टैक्स के नियमों को सरल बनाने की कोशिश की है। लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि इन्हें और सरल बनाने की जरूरत है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि सरकार उन नियमों को खत्म करेगी, जिनकी अब जरूरत नहीं है। साथ ही, आयकर अनुपालन में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ाने पर भी फोकस रहेगा।