2017 में मेटा ने एक ऐसी तकनीक के बारे में बताया था जिसकी मदद से आप जो सोच रहे हैं उसे टाइप कर सकते हैं। अब, वर्षों के शोध के बाद, कंपनी ने यह तकनीक विकसित कर ली है, लेकिन यह अभी भी दैनिक उपयोग के लिए तैयार नहीं है। दरअसल, मेटा की ब्रेन-टाइपिंग प्रणाली को मानव मस्तिष्क की गतिविधि का विश्लेषण करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और न्यूरोसाइंस का उपयोग करके डिजाइन किया गया है। यह प्रणाली यह अनुमान लगा सकती है कि व्यक्ति कौन सा अक्षर टाइप करने की सोच रहा है। हालाँकि, यह केवल विशेष प्रयोगशाला स्थितियों में ही काम करता है और इसके लिए बड़ी एवं महंगी मशीन की आवश्यकता होती है।
एमआईटी टेक्नोलॉजी रिव्यू के अनुसार, यह तकनीक मैग्नेटोएन्सेफेलोग्राफी (एमईजी) मशीन पर निर्भर करती है। यह स्कैनर उत्पन्न चुंबकीय संकेतों को पकड़ लेता है। एमईजी मशीन इतनी संवेदनशील है कि इसे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से बचाने के लिए एक विशेष कमरे में रखा जाता है। मेटा के शोधकर्ताओं ने ब्रेन2क्वर्टी नामक एक एआई मॉडल बनाया है, जो इन मस्तिष्क संकेतों का विश्लेषण करता है। इस एआई को स्वयंसेवकों के कीबोर्ड टाइपिंग डेटा से प्रशिक्षित किया गया है, जिससे यह जान गया है कि कौन सा मस्तिष्क संकेत किस अक्षर से मेल खाता है।
जानकारी के अनुसार स्पेन के एक शोध केंद्र में 35 स्वयंसेवकों ने इस परीक्षण में हिस्सा लिया। प्रत्येक प्रतिभागी ने एमईजी स्कैनर में 20 घंटे बिताए, जिसके दौरान वे वाक्य टाइप कर रहे थे। एआई ने 80% सटीकता के साथ अनुमान लगाया कि व्यक्ति कौन सा शब्द टाइप करने की सोच रहा था।
प्रौद्योगिकी सामान्य उपयोग के लिए तैयार नहीं
यद्यपि यह तकनीक बहुत उन्नत है, फिर भी उपभोक्ता उत्पाद बनने में इसे अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह तकनीक बहुत महंगी है और इसके लिए बड़े उपकरण की आवश्यकता होती है। एमईजी स्कैनर का वजन आधा टन है और इसकी कीमत लगभग 2 मिलियन डॉलर यानी लगभग 16.5 करोड़ रुपये है।