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इंद्र की एक गलती से जन्मी स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सरा उर्वशी, रूप ऐसा जो देख लेता, वो बन जाता ​दीवाना

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जब भी इंद्रलोक का नाम लिया जाता है तो इंद्रलोक की सबसे सुंदर अप्सरा उर्वशी का जिक्र जरूर किया जाता है। कई पौराणिक कथाओं के अनुसार इंद्रलोक की अप्सरा उर्वशी इतनी सुंदर थी कि राजा से लेकर साधु तक कोई भी उर्वशी की सुंदरता के जादू से बच नहीं पाता था। उर्वशी जब भी अपना रूप बदलकर पृथ्वी लोक में भ्रमण करने निकलती तो उसके शरीर से ऐसी मनमोहक सुगंध निकलती कि उसे देखने वाले उसकी ओर खिंचे चले आते। क्या आप जानते हैं कि इंद्रलोक की सबसे सुंदर अप्सरा का जन्म कैसे हुआ था? एक पौराणिक कथा के अनुसार उर्वशी का जन्म इंद्र की गलती के कारण हुआ था। आइये जानते हैं इंद्रलोक की अप्सरा उर्वशी के जन्म का रहस्य।

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महाभारत की कथा के अनुसार भगवान विष्णु के अंश माने जाने वाले नर-नारायण एक बार घोर तपस्या में लीन थे। नर-नारायण को तपस्या में लीन देखकर स्वर्ग के देवता इंद्र को भय होने लगा कि कहीं नर-नारायण भगवान शिव को प्रसन्न करके स्वर्ग और इंद्र का सिंहासन न मांग लें। इस भय के कारण देवराज इंद्र ने नर और नारायण की तपस्या भंग करने के लिए इंद्रलोक की अप्सराओं को एक-एक करके इंद्रलोक भेजा। इन्द्रलोक की अप्सराओं ने नर और नारायण की तपस्या भंग करने के लिए अनेक प्रकार से प्रयत्न किये, किन्तु कोई भी अप्सरा सफल नहीं हो सकी।

नारायण ने अपनी जांघ से एक सुंदर अप्सरा को जन्म दिया।

जब नर और नारायण को इन्द्र की यह चाल समझ में आई तो उन्होंने इन्द्र से कहा- ‘हे इन्द्रदेव! हम जानते हैं कि आप हमारी बात सुन रहे हैं। हम कठोर तपस्या में विश्वास रखने वाले ऋषि हैं। आपको इस बात का गर्व है कि आपके इंद्रलोक में अत्यंत सुंदर अप्सराएं हैं, जो किसी की भी तपस्या भंग कर सकती हैं, लेकिन आप यह नहीं जानते कि हम अपनी तपस्या से अत्यंत सुंदर अप्सरा उत्पन्न कर सकते हैं, इसीलिए हम आपके माया जाल से कई कोस दूर हैं। यह कहकर नर-नारायण ने अपनी जांघ से एक सुंदर स्त्री उत्पन्न की।

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नर और नारायण जैसे बुद्धिमान और तपस्वी लोगों को धोखा देने के बाद इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ। इन्द्र ने नर और नारायण से क्षमा मांगी। नर और नारायण ने इंद्र की क्षमा स्वीकार कर ली और जांघ से उत्पन्न स्त्री को इंद्र के साथ इंद्र के राज्य में भेज दिया। इस प्रकार इन्द्रलोक की सबसे सुन्दर अप्सरा उर्वशी का जन्म हुआ। उर्वशी देवताओं के राजा इंद्र को प्रिय थी, क्योंकि ऋषियों की तपस्या से उत्पन्न हुई यह स्त्री न केवल सुंदर थी, बल्कि ज्ञानवान भी थी। देवराज इन्द्र भी उर्वशी से अनेक सुझाव लेते थे।

स्वर्ग की सबसे सुन्दर अप्सरा उर्वशी के चेहरे पर दिव्य तेज था।

स्वर्ग की सबसे सुन्दर अप्सरा उर्वशी इतनी स्वाभाविक रूप से सुन्दर थी कि जो भी उसे देखता, मंत्रमुग्ध होकर उसे देखता ही रह जाता। उर्वशी में अपना रूप बदलने की भी शक्ति थी। उर्वशी समय-समय पर पृथ्वी पर आती थी और अपना रूप बदलकर जिस किसी व्यक्ति के प्रति आकर्षित होती थी, उससे विवाह कर लेती थी और कुछ समय तक उसके साथ रहती थी।

उर्वशी कभी बूढ़ी नहीं हुई।

उर्वशी की जवानी 18 साल की लड़की जैसी थी। इसका मतलब यह था कि उर्वशी पर समय का कोई प्रभाव नहीं था। उर्वशी का शरीर सदैव युवा बना रहा। इसके अलावा उर्वशी नृत्य और गायन जैसी कई कलाओं में निपुण थी।

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