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Holika dahan 20225: होलिका दहन के बाद घर में रखें राख, नकारात्मक शक्तियां रहेंगी कोसों दूर

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होलिका दहन पर गाय के गोबर के कंडे जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह धार्मिक आस्था, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि उपलों की अग्नि परिवार में सुख-समृद्धि लाती है। जानें हर साल क्यों निभाई जाती है यह परंपरा और क्या हैं इसके फायदे

गोबर के बल्ले बनाकर मालाएं बनाकर दरवाजे पर टांगी जाती हैं। होलिका दहन महज एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि परंपराओं और आस्था का संगम है। छतरपुर जिले सहित कई स्थानों पर इस दिन गोबर के ढेर (कंडे) जलाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि उपलों की पवित्र अग्नि नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है और परिवार में सुख, समृद्धि और शांति लाती है। होलिका दहन से कुछ दिन पहले गाय के गोबर से छोटे-छोटे बल्ले (गुलरियां) बनाए जाते हैं, जिन्हें धूप में सुखाया जाता है और फिर रस्सी में पिरोया जाता है। इनकी सात मालाएं बनाई जाती हैं, जिनमें से एक बड़ी माला होलिका को समर्पित की जाती है, जबकि बाकी घर की सुरक्षा के लिए रखी जाती हैं। सदियों पुरानी यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। गाय के गोबर के उपलों को जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और इसे प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत भी माना जाता है।

उपलों की राख का महत्व

होलिका दहन के बाद बची राख को बहुत पवित्र माना जाता है। लोकल 18 से बातचीत में 82 वर्षीय प्रेमा बाई ने बताया कि बड़ी होलिका की राख को घर में सुरक्षित रखने से भूत-प्रेत जैसी नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि इस राख को बीमार व्यक्ति के माथे पर लगाने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये राख घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने में सहायक होती है। कई लोग इसे पूजा स्थल या अन्य पवित्र स्थान पर रखते हैं, ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और बुरी शक्तियां दूर रहें।

पर्यावरण संरक्षण का संदेश

गाय के गोबर का उपयोग न केवल धार्मिक दृष्टि से लाभदायक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लाभकारी है। जब उपले को जलाया जाता है तो उससे निकलने वाला धुआं वातावरण में मौजूद हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट कर देता है, जिससे स्वच्छता बनी रहती है। इसके अलावा, यह पारंपरिक ईंधन का एक प्राकृतिक और टिकाऊ विकल्प भी है, जो प्रदूषण को कम करने में मदद करता है।

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