Home व्यापार केंद्र सीमावर्ती इलाकों में टेक्निकल और साइंटिफिक इंस्टॉलेशन की सुरक्षा बढ़ाएगा

केंद्र सीमावर्ती इलाकों में टेक्निकल और साइंटिफिक इंस्टॉलेशन की सुरक्षा बढ़ाएगा

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नई दिल्ली, 11 मई (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने सीमा सटे जम्मू और कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान और गुजरात के उत्तर-पश्चिम इलाकों में मौजूद टेक्निकल और साइंटिफिक इंस्टॉलेशन की सुरक्षा को अपग्रेड करने का निर्णय लिया है।

इसके अतिरिक्त श्रीनगर और लेह में महत्वपूर्ण आईएमडी इंस्टॉलेशन की सुरक्षा भी बढ़ाई जाएगी।

केंद्रीय साइंस एवं टेक्नोलॉजी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने मौजूदा सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर देश भर में टेक्निकल और साइंटिफिक इंस्टॉलेशन की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और साइंटिफिक एवं टेक्निकल विभागों के प्रमुखों के साथ एक उच्च स्तरीय संयुक्त बैठक बुलाई थी।

इस बैठक का फोकस विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर, पंजाब, लद्दाख और भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों में रिसर्च और साइंटिफिक सुविधाओं की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा पर था।

केंद्रीय मंत्री ने विशेष रूप से सीएसआईआर- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसन (आईआईआईएम), जम्मू, सीएसआईआर-सेंट्रल साइंटिफिक इंस्टूमेंट ऑर्गेनाइजेशन (सीएसआईओ), चंडीगढ़, सीएसआईआर-केंद्रीय लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएलआरआई), जालंधर और अन्य प्रमुख संस्थाओं के साथ श्रीनगर में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) इंस्टॉलेशन, लद्दाख और आसपास के क्षेत्रों में अर्थ साइंस रिसर्च स्टेशनों की तैयारियों और सुरक्षा तंत्र की समीक्षा की।

सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक सुविधाएं, विशेष रूप से काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर), डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी), भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और अर्थ साइंस की सुविधाएं राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे का प्रमुख स्तंभ हैं।

केंद्रीय मंत्री ने सभी वैज्ञानिक संस्थानों को मौजूदा स्थिति के मद्देनजर अपने मौजूदा सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा करने और उसे बढ़ाने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि उन्हें निर्बाध समन्वय और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित जिला प्रशासन को तुरंत सूचित करना चाहिए।

प्रत्येक संस्थान को आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए एसओपी विकसित करने और प्रसारित करने की आवश्यकता होती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आपातकालीन स्थिति में कर्मचारी और स्थानीय अथॉरिटी दोनों अच्छी तरह से तैयार हों।

–आईएएनएस

एबीएस/

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