अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध अब कम होता दिख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दोनों देशों के बीच संबंधों में ‘पूर्ण शुरुआत’ की घोषणा की है। इसके बाद सोमवार को वॉल स्ट्रीट के प्रमुख शेयर बाजार सूचकांकों में जबरदस्त बढ़त देखने को मिली।
शेयर बाज़ार में जबरदस्त उछाल
डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज: 2.8 प्रतिशत उछलकर 42,410.10 पर बंद हुआ।
एसएंडपी 500: 3.3% बढ़कर 5,844.19 पर बंद हुआ।
नैस्डैक कम्पोजिट: 4.4% की मजबूत छलांग के साथ 18,708.34 पर।
यह तेजी ऐसे समय में आई है जब निवेशकों को उम्मीद है कि अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार तनाव अब धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा।
अमेरिका-चीन वार्ता में क्या हुआ?
पिछले सप्ताह शीर्ष अमेरिकी और चीनी अधिकारियों के बीच स्विटजरलैंड में वार्ता हुई। वार्ता का परिणाम यह हुआ कि अमेरिका अब चीनी वस्तुओं पर 145 प्रतिशत के भारी कर के स्थान पर केवल 30 प्रतिशत कर लगाएगा। साथ ही चीन अमेरिकी उत्पादों पर कर को 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करेगा। यह एक अस्थायी समझौता है, लेकिन इसे व्यापार युद्ध को शांत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
ब्रिटेन के साथ भी एक समझौता हुआ
पिछले सप्ताह अमेरिका और ब्रिटेन के बीच भी एक सकारात्मक व्यापार समझौता हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि इन दो बड़ी घोषणाओं से कंपनियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे भविष्य में निवेश और खर्च से जुड़ी योजनाएं बना सकेंगी। ब्रीफिंग डॉट कॉम ने लिखा: ‘इन निर्णयों से व्यापारियों को लगेगा कि भविष्य में एक स्थायी समझौता हो जाएगा, इसलिए वे अपने निवेश और खर्च संबंधी निर्णय लेने में संकोच नहीं करेंगे।’
कुछ प्रश्न अभी भी बचे हुए हैं
एबीबीडब्ल्यू विशेषज्ञ कार्ल हेलिंग ने कहा, ‘अभी भी बहुत सारे विवरण तय किए जाने बाकी हैं। यह स्पष्ट है कि वास्तविक और स्थायी समाधान के लिए अभी भी लंबा रास्ता तय करना है।’ यानी यह समझौता बाजार के लिए राहत भरा हो सकता है, लेकिन यह अंतिम नहीं है। कई मुद्दों पर अभी भी बातचीत और सहमति की आवश्यकता है।
सबकी निगाहें मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर टिकी हैं
अब बाजार की नजर मंगलवार को आने वाले अमेरिकी मुद्रास्फीति (सीपीआई) आंकड़ों पर है। ये आंकड़े अप्रैल माह के होंगे। विशेषज्ञ यह देखना चाहेंगे कि व्यापार युद्ध के कारण लगाए गए करों (टैरिफ) ने उपभोक्ता खर्च और मुद्रास्फीति को कितना प्रभावित किया है। यदि मुद्रास्फीति बढ़ती है तो इसका अर्थ यह होगा कि कर का बोझ उपभोक्ताओं पर आ गया है। यदि मुद्रास्फीति नियंत्रण में रही तो यह बाजार के लिए और भी अच्छी खबर होगी।