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क्यों अहंकार बन जाता है आपके सपनों की सबसे बड़ी रुकावट ? 2 मिनट के शानदार वीडियो में जाने इससे कैसे बचें और सफलता कैसे पाएं

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जीवन में कामयाबी पाना हर किसी का सपना होता है। कुछ इसे मेहनत से हासिल करते हैं, कुछ अपनी लगन और समझदारी से। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि तमाम योग्यताओं और प्रयासों के बावजूद इंसान को वो सफलता नहीं मिलती, जिसकी उसे उम्मीद होती है। ऐसे में कारणों की खोज जरूरी हो जाती है। और जब हम आत्मविश्लेषण करते हैं, तो एक बड़ी रुकावट के रूप में सामने आता है — अहंकार।

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अहंकार: चुपचाप जीवन बिगाड़ने वाला तत्व
अहंकार, जिसे अंग्रेजी में “Ego” कहा जाता है, वह मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझने लगता है। यह भावना धीरे-धीरे व्यक्ति के व्यवहार, सोच और निर्णयों को प्रभावित करने लगती है। शुरुआत में ये आत्मविश्वास जैसा लगता है, लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ता है, यह इंसान को वास्तविकता से दूर कर देता है।अहंकारी व्यक्ति दूसरों की सलाह को महत्व नहीं देता, अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करता और यह मान बैठता है कि उसे सब कुछ आता है। यही रवैया उसे लोगों से काटता है और धीरे-धीरे वह अकेलापन और असफलता की ओर बढ़ने लगता है।

सफलता और अहंकार: दो विपरीत ध्रुव
इतिहास से लेकर आधुनिक कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत जीवन तक अगर हम सफल लोगों के जीवन को देखें, तो एक बात साफ दिखती है — विनम्रता और सीखने की इच्छा। चाहे वह महात्मा गांधी हों, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, या फिर सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज, इन सबमें एक बात समान रही — अहंकार से दूरी और दूसरों की बातों को सुनने-समझने की क्षमता।जब इंसान में विनम्रता होती है, तो वह अपने आसपास के लोगों से सीखता है, उनकी गलतियों से बचता है, और अपने व्यवहार में संतुलन बनाए रखता है। इससे वह लोगों का भरोसा भी जीतता है और मौके भी खुद-ब-खुद उसके पास आने लगते हैं।

अहंकार कैसे बनता है बाधा?
सीखने की क्षमता घट जाती है – अहंकारी व्यक्ति सोचता है कि उसे सब आता है, जिससे वह दूसरों से कुछ नया नहीं सीखता।
टीमवर्क खराब होता है – चाहे नौकरी हो या बिज़नेस, टीम में काम करना ज़रूरी होता है। अहंकार टीम को तोड़ देता है।
रिश्ते कमजोर होते हैं – परिवार, दोस्त, सहकर्मी — सभी रिश्तों में विनम्रता ज़रूरी है। अहंकार इन्हें प्रभावित करता है।
निर्णय लेने में गलती होती है – आत्ममुग्धता के चलते इंसान दूसरों की सलाह नहीं लेता और गलत निर्णय ले बैठता है।
आलोचना सहन नहीं कर पाता – सुधार की पहली सीढ़ी है आलोचना को समझना, लेकिन अहंकारी व्यक्ति इसे अपमान समझ लेता है।

अहंकार को कैसे करें नियंत्रित?
आत्मविश्लेषण करें – दिन खत्म होने पर सोचें कि आपने दिनभर में किससे कैसे बात की, क्या आपने किसी की सलाह ठुकराई या किसी को कमतर समझा?
सीखने की आदत डालें – हर इंसान से कुछ न कुछ सीखने की भावना रखें, चाहे वह छोटा कर्मचारी हो या बच्चा।
ध्यान और योग करें – नियमित ध्यान और प्राणायाम मन को शांत रखते हैं और अहंकार को काबू में रखने में मदद करते हैं।
सफल लोगों की बायोग्राफी पढ़ें – इससे पता चलता है कि विनम्रता और सादगी से भी ऊँचाइयाँ हासिल की जा सकती हैं।
“सॉरी” और “थैंक यू” को अपनाएं – ये छोटे शब्द बड़े बदलाव ला सकते हैं। ये न सिर्फ रिश्ते सुधारते हैं, बल्कि आपके व्यवहार में भी नरमी लाते हैं।

विनम्रता है असली ताकत
विनम्र होना कमजोरी नहीं, बल्कि एक बड़ी ताकत है। जो इंसान अपनी सफलता के शिखर पर पहुंचकर भी झुकना जानता है, वही सच्चा इंसान कहलाता है। विनम्रता से आपके आस-पास एक सकारात्मक ऊर्जा बनती है, जो लोगों को आपकी ओर खींचती है।अगर आप भी अपने जीवन में सच्ची कामयाबी पाना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने भीतर झांकिए। क्या कहीं कोई अहंकार छिपा बैठा है? क्या आप दूसरों को समझने की बजाय उन्हें छोटा समझते हैं? अगर हां, तो वक्त है बदलाव का।अहंकार से दूरी और विनम्रता से दोस्ती, यही है सफलता की असली कुंजी। ये न केवल आपको एक बेहतर इंसान बनाएगा, बल्कि समाज में भी आपकी स्वीकार्यता और सम्मान बढ़ाएगा।

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