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निर्जला एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा? यहां जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

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हिंदू धर्म में प्रत्येक माह में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है — एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार पूरे साल में कुल 24 एकादशी व्रत होते हैं। हालांकि, जब मलमास (अधिकमास) आता है तो यह संख्या 24 से बढ़कर 26 हो जाती है। इन सभी एकादशियों में ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत विशेष महत्व रखती है। निर्जला एकादशी का व्रत बिना अन्न और जल के किया जाता है, इसलिए इसे अन्य सभी एकादशियों की तुलना में कठिन माना जाता है।

निर्जला एकादशी व्रत कब रहेगा?

साल 2025 में निर्जला एकादशी का व्रत दो दिनों तक रहेगा। गृहस्थजन इस व्रत को 6 जून, शुक्रवार को रखेंगे, जबकि वैष्णव समुदाय के लोग इसे 7 जून, शनिवार को करेंगे। इस व्रत को भीमसेनी एकादशी या भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरे साल की सभी एकादशियों का व्रत नहीं कर पाता, वह इस एकादशी के दिन व्रत करके बाकी एकादशियों का पुण्य प्राप्त कर सकता है।

निर्जला एकादशी 2025 का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 6 जून तड़के 2 बजकर 15 मिनट से प्रारंभ होगी और 7 जून सुबह 4 बजकर 47 मिनट तक जारी रहेगी। इस दिन व्रत 6 जून को रखा जाएगा। वहीं पारण का शुभ मुहूर्त 7 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शाम 4 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस दौरान व्रत खोलना शुभ माना जाता है।

निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व

निर्जला एकादशी को हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण एकादशी माना गया है। इसका व्रत बिना किसी जल या भोजन के किया जाता है, जो इसे अन्य सभी एकादशी व्रतों से कठिन बनाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने वाले को श्रीहरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।

इस व्रत का पालन करना शरीर और मन दोनों के लिए शुद्धिकरण का माध्यम माना जाता है। निर्जला एकादशी के दिन निर्जल रहने से आत्मा को शांति मिलती है और अध्यात्मिक उन्नति होती है। साथ ही यह व्रत जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली लाने वाला भी माना जाता है।

निष्कर्ष

साल 2025 में निर्जला एकादशी 6 जून को रखी जाएगी, जो व्रत धर्मनिष्ठों के लिए एक बड़ा अवसर है। यह व्रत न केवल कठिन है, बल्कि इसका फल भी अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यदि आप सभी एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते, तो निर्जला एकादशी का व्रत अवश्य करें, जिससे आपको पूरे साल की एकादशियों का पुण्य प्राप्त हो सके।

इस निर्जला एकादशी व्रत को करने से मन, शरीर और आत्मा को शांति मिलती है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा सदैव बनी रहती है। इसलिए इस पावन व्रत को पूरी श्रद्धा और सावधानी के साथ करें और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखें।

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