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छोटी-छोटी बातों में छिपी बड़ी भावनाओं की कहानी है फिल्म Bhool Chuk Maaf,क्या हैं फिल्म की खूबियां और खामियां?

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समीक्षा बताने से पहले एक प्रश्न. मजबूरी में इस टाइम लूप को ठीक करने के लिए आप कुछ नई रहस्यमयी चीजें करते हैं, ताकि किसी तरह इससे छुटकारा मिल जाए और फिर आप सोचते हैं कि एक दिन को बार-बार जिएंगे तो जिंदगी कितनी बोरिंग हो जाएगी, फिर क्या – गलती के लिए माफ करें, इस टाइम लूप में फंसकर बोर हो जाएं या फिर बनारस के रंजन की बेचैनी, मनोरंजन करती है, यह इस समीक्षा से पता चलेगा।

‘भूल चूक माफ़’ की कहानी क्या है?

कहानी बनारस से शुरू होती है, जहां रंजन (राजकुमार राव) अपनी लंबे समय से प्रेमिका तितली (वामिका गब्बी) से शादी करना चाहता है। तितली के पिता बृजमोहन (जाकिर हुसैन) की एक ही शर्त है, सरकारी नौकरी करो और मेरी बेटी से शादी करो। रंजन मंदिर की चौखट पर भगवान से प्रार्थना करता है, लेकिन प्रार्थना में भी रंजन एक गलती कर देता है। खैर, मुश्किलों से रंजन को सरकारी नौकरी मिल जाती है और शादी की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। रंजन की 29 तारीख को हल्दी और 30 तारीख को शादी की खुशी उस समय फीकी पड़ जाती है, जब हल्दी के दिन के बाद वह फिर से उठता है और पाता है कि शादी की तारीख 29 ही है।

हर दिन बदलती है कहानी

ये सब तो ट्रेलर में आपने देखा ही है, रंजन 29 के चक्कर में तो ऐसा लग रहा है कि 30 का इंतज़ार ख़त्म ही नहीं हो रहा है। गायों को रोटी खिलाने से लेकर, पक्षियों को दाना डालने, मछलियों को दाना डालने से लेकर गरीबों को भोजन कराने तक, रंजन ने सभी अच्छे काम किए, लेकिन समय के चक्र में वही दिन बार-बार आता है। इस कहानी में सबसे दिलचस्प बात यह है कि भले ही हल्दी वाला दिन बार-बार आता है, लेकिन कहानी हर दिन बदल जाती है। इस कहानी ने पर्दे पर रंजन की बेचैनी और थिएटर में आपकी दिलचस्पी बनाए रखने का अच्छा काम किया है। बाकी क्लाइमेक्स में जिंदगी की एक सीख भी है… लेकिन हम यहां लिख देंगे, तो आप थिएटर में ‘भूल चूक माफ़’ नहीं देख पाएंगे, जिसके लिए पीवीआर ने मैडॉक फिल्म्स पर 60 करोड़ का मुकदमा किया था और फिर कोर्ट के बाहर समझौता कर लिया था।

लेखन निर्देशन और संगीत

फिल्म ‘भूल चूक माफ़’ का लेखन और निर्देशन करण शर्मा ने किया है। निर्देशन के मामले में करण ने अच्छा काम किया है। वहीं लेखन के मामले में करण ने हर किरदार के लिए एक दृश्य रखने की कोशिश की है। हां, फिल्म थोड़ी और रोचक हो सकती थी। कुछ जगहों पर संवाद थोड़े ज्यादा ही जबरदस्ती से लिखे गए लगते हैं, जिनकी जरूरत नहीं थी। फिल्म की कहानी के अनुसार बैकग्राउंड स्कोर और संगीत अच्छा है, जिसका श्रेय केतन सोढ़ा और तनिष्क बागची को जाता है।

सबका अभिनय कैसा है?

‘विकी विद्या का वो वाला वीडियो’ के बाद राजकुमार राव एक देसी कॉमेडी के साथ वापस आ गए हैं। शायद उन्हें पता है कि दर्शकों को उनकी यह देसी कॉमेडी पसंद आ रही है। फिल्म का पूरा फोकस रंजन उर्फ ​​राजकुमार राव पर था। इसका मतलब यह है कि पूरी फिल्म उनके कंधों पर है। अभिनय के मामले में भी वामिका ने अच्छा काम किया है। वहीं, रघुबीर यादव, सीमा पाहवा, जाकिर हुसैन, संजय मिश्रा जैसे बाकी कलाकारों ने भी बेहतरीन एक्टिंग की है, लेकिन अगर उनके कुछ और सीन होते तो मजा आता।

‘भूल चुक माफ’ का अंतिम फैसला

दर्शक इस समय देसी कॉमेडी का खूब आनंद ले रहे हैं और यही वजह है कि देसी कॉमेडी पर कई फिल्में और वेब सीरीज आ रही हैं। राजकुमार राव रंजन की भूमिका में फिट बैठते हैं। एक नए संदेश ‘नेकी कर दरिया में डाल’ के माध्यम से आपको यह भी बता दें कि यह फिल्म देखी जा सकती है।

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