Home लाइफ स्टाइल निर्जला एकादशी के पारण में न करें ये गलती, वरना निष्फल हो...

निर्जला एकादशी के पारण में न करें ये गलती, वरना निष्फल हो जाएगा व्रत, जानें मुहूर्त

7
0

निर्जला एकादशी हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण एकादशी व्रतों में से एक है। यह व्रत सावन (जुलाई-ऑगस्ट) महीने में आता है और इसके कठोर नियमों के कारण इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। निर्जला एकादशी का अर्थ है कि इस दिन दिन भर जल (पानी) भी नहीं पीना और पूरी 24 घंटे की कठोर उपवास रखनी चाहिए।

निर्जला एकादशी के पारण (व्रत खोलने) में ध्यान रखने वाली बातें

निर्जला एकादशी के व्रत का पारण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि पारण में कोई गलती हो जाए तो व्रत निष्फल माना जाता है। इसलिए पारण करते समय ये बातें जरूर ध्यान रखें:

  1. सही समय पर करें पारण:
    पारण का शुभ मुहूर्त एकादशी के व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि के प्रातःकाल में होता है। ज्योतिष के अनुसार यह समय सुबह 5 से 10 बजे के बीच हो सकता है। इस समय के बाद पारण न करें।

  2. सादा और हल्का भोजन लें:
    पारण के समय भारी, तैलीय और मांसाहारी भोजन से बचें। खीर, फल, दाल, सेंधा नमक और शुद्ध जल से पारण करना शुभ माना जाता है।

  3. जल पीना न भूलें:
    निर्जला व्रत के बाद पारण के समय सबसे पहले शुद्ध जल या गंगाजल पीना चाहिए। इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।

  4. दूध और दही का सेवन:
    पारण के लिए दही, दूध और हल्का फलाहार भी शुभ माना जाता है। इससे पाचन तंत्र को आराम मिलता है।

  5. व्रत खुलने के बाद अचानक भारी भोजन न करें:
    निर्जला व्रत के कारण शरीर काफी कमजोर होता है, इसलिए अचानक ज्यादा भारी भोजन करने से सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।

निर्जला एकादशी पारण का शुभ मुहूर्त 2025 (भारत समयानुसार)

  • तिथि समाप्ति: 7 जून, शनिवार, दोपहर 12:30 बजे तक (मध्य भारत समय अनुसार)

  • पारण मुहूर्त: 7 जून सुबह 5:00 बजे से लेकर 7 जून दोपहर 12:30 बजे तक सबसे उत्तम समय माना जाता है।

(ध्यान दें कि पारण का समय आपके क्षेत्र के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है, इसलिए अपने स्थानीय पंचांग या ज्योतिष से पुष्टि अवश्य करें।)

निर्जला एकादशी व्रत क्यों खास है?

  • इस व्रत में बिना पानी के पूरे दिन उपवास रखा जाता है, जिससे शरीर का शुद्धिकरण होता है।

  • यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

  • माना जाता है कि निर्जला एकादशी व्रत करने से 12 वर्षों के सारे अन्य एकादशी व्रतों का फल मिल जाता है।

निष्कर्ष

निर्जला एकादशी का व्रत बेहद पवित्र है, लेकिन इसके सफल फल के लिए पारण का समय और तरीका सही होना जरूरी है। यदि पारण में उपरोक्त नियमों का पालन न किया जाए, तो व्रत निष्फल हो सकता है।

इसलिए, निर्जला एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा, नियम और उचित मुहूर्त में पारण कर ही करें। इससे आपका व्रत सफल होगा और आपको आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here