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21 या 22 जून इस दिन मनाई जाएगी योगिनी एकादशी, नोट करें सही डेट और जानें इस एकादशी का महत्व

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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत महत्व दिया गया है। पूरे साल में कुल 24 एकादशी आती हैं, जिनमें प्रत्येक माह में दो-दो एकादशी पड़ती हैं। इनमें से आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत निर्जला एकादशी और देवश्यनी एकादशी के बीच आता है और इसे बहुत शुभ माना जाता है।

योगिनी एकादशी 2025 कब है?

साल 2025 में योगिनी एकादशी जून या जुलाई माह में आती है, लेकिन इस बार यह व्रत 21 जून, शनिवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि की शुरुआत सुबह 7:18 मिनट पर होगी और यह तिथि अगले दिन 22 जून, सुबह 4:27 मिनट पर समाप्त होगी। इस कारण व्रत 21 जून को किया जाएगा जबकि इसका पारण 22 जून, रविवार को किया जाना उचित रहेगा।

योगिनी एकादशी का व्रत पारण

एकादशी व्रत के साथ-साथ व्रत का पारण भी विशेष महत्व रखता है। योगिनी एकादशी के व्रत का पारण 22 जून को दोपहर 1:28 मिनट से लेकर 4:03 मिनट तक किया जा सकता है। ध्यान रखें कि हरि वासन अर्थात व्रत का समापन सुबह 9:41 मिनट पर होगा, इसलिए पारण का समय निर्धारित समय के भीतर ही करना चाहिए।

योगिनी एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व

योगिनी एकादशी का व्रत हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह व्रत आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इसे करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से भगवान श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।

इसके अलावा, यह माना जाता है कि इस व्रत को रखने से जीवन में समृद्धि, शांति और आनंद का आगमन होता है। पौराणिक कथाओं में यह भी कहा गया है कि योगिनी एकादशी का व्रत एक अठ्यासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य फल देता है। इसलिए इस व्रत का विशेष महत्व है और इसे भक्ति के साथ करना चाहिए।

योगिनी एकादशी के व्रत के नियम

योगिनी एकादशी व्रत में निर्जला व्रत का पालन करना शुभ माना जाता है। इसका मतलब है कि इस दिन पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। दिनभर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हुए सत्संग, भजन-कीर्तन और ध्यान किया जाता है। व्रत के दिन दोषी व्यवहार से बचना, शुद्ध मन और विचार रखना जरूरी होता है। योगिनी एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष का मार्ग माना जाता है। आषाढ़ माह में आने वाली यह एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इसे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने वाला भी माना जाता है। साल 2025 में यह व्रत 21 जून को रहेगा और 22 जून को इसका पारण किया जाएगा। भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे इस पवित्र व्रत को सही समय और विधि के अनुसार श्रद्धा और भक्ति के साथ रखें, ताकि उन्हें इसके अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकें।

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