एफसी एशियन कप क्वालीफाइंग राउंड में हांगकांग से भारत की 0-1 की हार के बाद आलोचनाओं का सामना कर रहे अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि राष्ट्रीय टीम पिछले कुछ समय से मैच जीतने के लिए संघर्ष कर रही है। इस हार के कारण भारत लगातार तीसरी बार महाद्वीपीय प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई करने की मुश्किल स्थिति में है। चौबे ने कोच मनोलो मार्केज़ की टीम के खराब प्रदर्शन के लिए भारतीय स्ट्राइकरों द्वारा गोल न किए जाने को एक कारण बताया। उन्होंने कहा कि हितधारक इस बात पर चर्चा करेंगे कि स्थानीय क्लबों में स्ट्राइकर के रूप में खेलने वाले भारतीयों की संख्या कैसे बढ़ाई जाए। चौबे ने कहा, “किसी भी खेल को लोकप्रियता हासिल करने के लिए राष्ट्रीय टीम का अच्छा प्रदर्शन करना महत्वपूर्ण है। यह सच है कि हमारी राष्ट्रीय टीम को मलेशिया, वियतनाम, बांग्लादेश, थाईलैंड और हांगकांग जैसी टीमों के खिलाफ जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। गोल किए बिना जीत की उम्मीद करना किसी भी तरह से अवास्तविक है।” चौबे ने कहा, “इससे भारतीय स्ट्राइकरों की गोल करने की क्षमता और योग्यता में कमी साफ तौर पर दिखती है। भारतीय स्ट्राइकरों के मैच-टाइम को बढ़ाने के लिए व्यावहारिक, सामूहिक निर्णय तत्काल लिए जाने की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “हालांकि, यह कैसे किया जाए, इसके लिए सभी हितधारकों के बीच संयुक्त चर्चा की जरूरत है।” इसका एक संभावित समाधान यह हो सकता है कि घरेलू लीग में विदेशी खिलाड़ियों की संख्या धीरे-धीरे कम की जाए, ताकि भारतीय स्ट्राइकरों को अधिक अवसर मिल सकें।” मार्केज के टीम छोड़ने की संभावना पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए चौबे ने कहा, “मानलो भारतीय फुटबॉल में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले विदेशी कोचों में से एक हैं। उन्होंने पिछले छह वर्षों में कई भारतीय क्लबों का प्रबंधन किया है और सुपर कप और आईएसएल कप सहित कई ट्रॉफी जीती हैं। वह भारतीय फुटबॉल को समझते हैं। वह भारतीय खिलाड़ियों की ताकत, कमजोरियों और चुनौतियों को जानते हैं। वह दूसरों से बेहतर हैं।”