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गुरुवार के दिन कौन से भगवान की होती है पूजा, क्या है महत्व और पौराणिक कथा, जानिए ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र से

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हिंदू धर्म में सप्ताह के हर दिन का एक विशेष महत्व होता है और हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होता है। गुरुवार का दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और उनके अवतार बृहस्पति देव (गुरु बृहस्पति) को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं, पीले वस्त्र पहनते हैं, और पीले फूल व चने की दाल से पूजा करते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र से जानते हैं कि गुरुवार की पूजा का क्या धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है और इसके पीछे कौन सी पौराणिक कथा जुड़ी है।

भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति की पूजा

गुरुवार को मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जो सृष्टि के पालनकर्ता माने जाते हैं। इसके साथ ही देवगुरु बृहस्पति, जो नवग्रहों में एक प्रमुख ग्रह माने जाते हैं, उनकी भी विशेष पूजा होती है। बृहस्पति ज्ञान, बुद्धि, धर्म, विवेक, शिक्षा और विवाह से संबंधित ग्रह हैं। जिन लोगों की कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति में हो, उन्हें गुरुवार के दिन व्रत रखने और गुरु की विशेष पूजा करने की सलाह दी जाती है।

गुरुवार के व्रत का महत्व

ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र के अनुसार, गुरुवार के व्रत से जीवन में धन, समृद्धि, संतान सुख और विवेक की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन स्त्रियों के लिए फलदायी होता है जो अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति की कामना करती हैं। व्रती व्यक्ति इस दिन पीले वस्त्र धारण करता है, भोजन में चने की दाल और पीले रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन करता है। पूजा के समय केले के पेड़ की पूजा करना और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है।

पौराणिक कथा

गुरुवार व्रत से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण की पत्नी धन की कमी से परेशान थी। एक दिन भगवान विष्णु स्वयं साधु के रूप में उसके घर आए और गुरुवार का व्रत करने की सलाह दी। लेकिन ब्राह्मणी ने पहले व्रत को गंभीरता से नहीं लिया और व्रत के नियम तोड़ती रही। इस कारण उसकी स्थिति और भी खराब होती गई। जब उसने सही विधि से श्रद्धा पूर्वक व्रत करना शुरू किया, तब उसके जीवन में सुख, धन और शांति वापस लौट आई। इस कथा का सार यह है कि श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन संभव होता है।

क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • पीले वस्त्र पहनें

  • चने की दाल का दान करें

  • केले के पेड़ की पूजा करें

  • बृहस्पति मंत्र का जाप करें: “ॐ बृं बृहस्पतये नमः”

क्या न करें:

  • इस दिन बाल न कटवाएं

  • मांस, शराब और प्याज-लहसुन से परहेज करें

  • झूठ न बोलें, क्रोध से बचें

गुरुवार का दिन धर्म, ज्ञान और सद्गुणों का प्रतीक है। जो भी श्रद्धा और नियमपूर्वक इस दिन भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति की पूजा करता है, उसके जीवन में सुख-शांति, ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति अवश्य आती है। ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र के अनुसार, ये व्रत व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति दोष को भी शांत करता है और विवाह संबंधी अड़चनों को दूर करता है।

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