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संजय बांगर की बेटी अनाया बांगर ने ICC और BCCI से की बड़ी अपील, ट्रांसजेंडर महिला के रूप में क्रिकेट में वापसी की इच्छा जताई

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पूर्व भारतीय क्रिकेटर और टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाजी कोच संजय बांगर की बेटी अनाया बांगर इन दिनों सुर्खियों में हैं। अनाया का जन्म एक लड़के के रूप में हुआ था और तब उनका नाम आर्यन बांगर था। लेकिन कुछ साल पहले उन्होंने जेंडर ट्रांजिशन के ज़रिए खुद को एक महिला के रूप में स्वीकार किया और अब वह एक ट्रांसजेंडर महिला के रूप में अपनी नई पहचान के साथ समाज और क्रिकेट दोनों ही क्षेत्रों में वापसी की तैयारी में हैं।

क्रिकेट में दोबारा कदम रखने की कोशिश

अनाया बांगर का सपना है कि वह दोबारा क्रिकेट मैदान पर उतरें — लेकिन इस बार महिला खिलाड़ी के रूप में। अनाया ने ICC (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) और BCCI (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) से औपचारिक अपील की है कि उन्हें महिला क्रिकेट टीम के लिए खेलने की अनुमति दी जाए।

अनाया की अपील

अपनी अपील में अनाया ने कहा:

“मैं एक खिलाड़ी के तौर पर दोबारा खुद को साबित करना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि मेरी प्रतिभा को मेरे जेंडर से नहीं, मेरी मेहनत और काबिलियत से आंका जाए। मैं ICC और BCCI से अनुरोध करती हूं कि वे ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करें ताकि हम भी खेल के मैदान में बराबरी से खड़े हो सकें।”

अनाया की पृष्ठभूमि

  • अनाया (पूर्व में आर्यन) बचपन से ही क्रिकेट की दुनिया से जुड़ी रही हैं, क्योंकि उनके पिता संजय बांगर भारतीय क्रिकेट के एक अहम चेहरा रहे हैं।

  • उन्होंने स्कूल और जिला स्तर पर लड़कों के साथ खेलते हुए क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया था।

  • लेकिन अपने जेंडर ट्रांजिशन के बाद से उन्होंने प्रोफेशनल क्रिकेट से दूरी बना ली थी।

क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय नियम?

ICC ने कुछ वर्षों पहले ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को लेकर कुछ गाइडलाइंस जारी की थीं, जिनके तहत ट्रांसजेंडर महिलाएं कुछ जैविक मानदंडों को पूरा करने के बाद महिला टीम में खेल सकती हैं। हालांकि, BCCI की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट नीति नहीं बनी है, जो अनाया की राह में सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

सोशल मीडिया पर समर्थन

अनाया की इस पहल को सोशल मीडिया पर काफी समर्थन मिल रहा है। कई क्रिकेटप्रेमियों और समाजिक कार्यकर्ताओं ने उनके साहस और क्रिकेट के प्रति उनके समर्पण की तारीफ की है। कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने भी संकेत दिया है कि खेल में समावेशन और समानता के लिए यह एक अहम कदम हो सकता है।

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