अधिकतर लोगों ने ट्रेन से यात्रा की होगी. हम अपनी छोटी और लंबी दूरी तय करने के लिए दो शहरों के बीच चलने वाली कई ट्रेनों में से अपनी पसंदीदा गाड़ी चुनते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रेलवे पैसेंजर, मेल और एक्सप्रेस एक ही रूट पर अलग-अलग गाड़ियां क्यों चलाता है? या फिर एक ही नाम की गाड़ियाँ क्यों नहीं चलायीं? अगर आप इन सवालों का जवाब नहीं जानते हैं तो आइए समझते हैं कि मेल, एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों में क्या अंतर है और रेलवे किसी ट्रेन की कैटेगरी कैसे तय करता है।
रेलवे बहुत कम दूरी के लिए पैसेंजर ट्रेनें चलाता है. इन पैसेंजर ट्रेनों में ज्यादातर डिब्बे सामान्य श्रेणी के होते हैं और ये रास्ते में हर छोटे-बड़े स्टेशनों पर रुकते हुए चलती हैं। इसी वजह से इन पैसेंजर ट्रेनों की स्पीड भी काफी कम है.
पुराने समय में रेलवे ट्रेनों में एक पोस्ट बॉक्स लगाता था, जिसके जरिए मेल भेजा जाता था। इसी कारण इनका नाम मेल एक्सप्रेस पड़ा। आजकल ट्रेनों से ये मेल बॉक्स हटा दिए गए हैं, लेकिन इन्हें अब भी मेल एक्सप्रेस कहा जाता है। इन मेल ट्रेनों की स्पीड एक्सप्रेस ट्रेनों से ज्यादा अलग नहीं होती है. ये औसतन 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ते हैं और बीच में कई स्टेशनों पर रुकते हैं। इन ट्रेनों की संख्या आमतौर पर 123 से शुरू होती है. एक्सप्रेस ट्रेनें सुपरफास्ट ट्रेनों की तुलना में थोड़ी धीमी और मेल की तुलना में थोड़ी तेज चलती हैं। इनकी औसत गति 55 किमी प्रति घंटा है. लेकिन ये एक्सप्रेस ट्रेनें मेल की तुलना में हर स्टेशन पर नहीं रुकती हैं, इसलिए ये अपने गंतव्य और समय पर पहुंच जाती हैं।
सुपरफास्ट ट्रेन
सुपरफास्ट ट्रेन मेल या एक्सप्रेस से काफी तेज चलती है और इसका स्टॉपेज भी इन दोनों ट्रेनों से कम होता है। एक सुपरफास्ट ट्रेन आमतौर पर 100 किमी प्रति घंटे या उससे तेज गति से चल सकती है। मेल-एक्सप्रेस या एक्सप्रेस ट्रेन की तुलना में इनका किराया भी अधिक होता है. अधिकतर ये ट्रेनें लंबी दूरी तय करती हैं।