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हर मां-बाप को देखने चाहिए ये वायरल वीडियो, जाने आखिर किन कारणों से टूटता है बच्चों का आत्मविश्वास और इसे फिर से बढ़ाने के उपाय ?

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आत्मविश्वास किसी भी बच्चे के मानसिक, सामाजिक और शैक्षणिक विकास की बुनियाद होता है। यह वो अदृश्य ताकत है, जो बच्चों को नई चीजें सीखने, गलतियों से डरने की बजाय उनसे सीखने और अपने जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन कई बार अनजाने में ही माता-पिता, शिक्षक या समाज के व्यवहार से बच्चों का आत्मविश्वास धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है। यह न केवल उनके व्यक्तित्व को प्रभावित करता है, बल्कि भविष्य में उनके निर्णय लेने की क्षमता, संबंधों और करियर पर भी गहरा असर डालता है।

आत्मविश्वास तोड़ने वाली बातें

1. लगातार आलोचना और तुलना करना

जब बच्चों की तुलना उनके भाई-बहनों, दोस्तों या अन्य “सफल” बच्चों से की जाती है, तो वे खुद को कमतर महसूस करने लगते हैं। “देखो शर्मा जी का बेटा कितना होशियार है” जैसे वाक्य बच्चों के आत्मसम्मान को धीरे-धीरे खा जाते हैं। साथ ही, बार-बार की जाने वाली आलोचना उन्हें यह महसूस कराती है कि वे कुछ भी सही नहीं कर सकते।

2. अत्यधिक प्रतिबंध और आज़ादी की कमी

हर समय ‘ना’ कहना, हर कदम पर नियंत्रण रखना और उन्हें अपनी पसंद से कुछ भी करने की इजाजत न देना बच्चों को यह विश्वास नहीं बनने देता कि वे खुद कोई निर्णय ले सकते हैं। इससे उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की भावना विकसित नहीं हो पाती।

3. असंवेदनशील तानों और मजाक का असर

माता-पिता या टीचर्स द्वारा कही गई बातें जैसे “तू तो हमेशा ऐसे ही करता है”, “तुझसे कुछ नहीं होगा”, या दोस्तों द्वारा मजाक उड़ाना, धीरे-धीरे बच्चे के मन में खुद के लिए हीन भावना पैदा कर देती हैं।

4. गलतियों पर गुस्सा करना, उन्हें सुधारने का मौका न देना

जब बच्चे कोई गलती करते हैं और उन्हें डांटने या शर्मिंदा करने की बजाय समझाने की जगह डांट-डपट मिलती है, तो वे जोखिम लेने और नया करने से डरने लगते हैं। इससे आत्मविश्वास तेजी से टूटता है।

बच्चों का आत्मविश्वास कैसे करें बूस्ट?

1. प्रोत्साहन और सराहना का व्यवहार अपनाएं

जब भी बच्चा कोई नया प्रयास करता है – चाहे वह पूरी तरह सफल न हो – तो उसकी कोशिश की सराहना करें। “तुमने अच्छा प्रयास किया” जैसे शब्द उन्हें बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं। तारीफ सिर्फ जीतने पर ही नहीं, बल्कि मेहनत और ईमानदारी पर भी होनी चाहिए।

2. उनकी बातों को गंभीरता से सुनें

बच्चा जब कुछ बोल रहा हो, तो उसे नजरअंदाज न करें। उसकी बातों को ध्यान से सुनें और उसे महसूस कराएं कि उसकी राय की भी कीमत है। इससे उसके भीतर बोलने और खुद को व्यक्त करने का साहस बढ़ता है।

3. फेलियर को सामान्य बनाएं, उसे सीखने का हिस्सा समझाएं

बच्चों को सिखाएं कि गलती करना कोई अपराध नहीं है। असफलता जीवन का हिस्सा है और उससे सीखा जा सकता है। जब बच्चे देखेंगे कि घर के बड़े भी अपनी गलतियों से सीखते हैं, तो वे खुद को दोषी नहीं मानेंगे और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेंगे।

4. छोटे-छोटे कामों की जिम्मेदारी देना शुरू करें

उन्हें अपने खिलौनों को संभालना, स्कूल बैग तैयार करना या अपने कपड़े खुद चुनने जैसे छोटे फैसलों की आज़ादी दें। इससे उनमें आत्मनिर्भरता आएगी और उन्हें खुद पर विश्वास पैदा होगा।

5. नकारात्मक भाषा से बचें, प्रेरक शब्दों का करें इस्तेमाल

“तुम कभी नहीं सीख सकते” जैसे वाक्यों की जगह “तुम कोशिश करोगे तो जरूर सीख जाओगे” जैसे शब्द आत्मबल बढ़ाते हैं। बच्चों के साथ सकारात्मक संवाद ही आत्मविश्वास की असली कुंजी है।

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