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भारत प्रमुख औद्योगिक जी-7 देशों के बीच भी मजबूती से विकास करना जारी रखेगा : पीएचडीसीसीआई

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नई दिल्ली, 28 जून (आईएएनएस)। भारत प्रमुख औद्योगिक जी-7 देशों के बीच भी मजबूती से विकास करना जारी रखेगा। यह जानकारी ‘पॉपुलेशन, प्रोडक्टिविटी, पार्टनरशिप: रिथिंकिंग जी7-इंडिया कोलेबरेशन’ विषय पर रिपोर्ट को लेकर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के विश्लेषण में दी गई।

रिपोर्ट का उद्देश्य जी7 अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत के विकास और व्यापार की गतिशीलता का आकलन करना, जी7 आउटरीच सेशन के लिए हाल ही में पीएम मोदी की कनाडा यात्रा पर चर्चा करना और भारत और जी7 के बीच सहयोग और सहभागिता की संभावनाओं की जांच करना था।

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष हेमंत जैन ने प्रेस बयान में कहा, “भारत की रियल जीडीपी की लगातार वृद्धि देश को विश्व अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख विकास चालक बनाती है। जीएसटी, दिवाला और दिवालियापन अधिनियम, उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना, वृद्धिशील डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर (आधार, यूपीआई) और मेक इन इंडिया जैसे परिवर्तनकारी सुधारों से दुनिया में भारत का दबदबा मजबूत हो रहा है।”

उन्होंने कहा कि 2021 से 2024 तक 8 प्रतिशत से अधिक की औसत वास्तविक जीडीपी वृद्धि के साथ, भारत लगातार सभी जी7 सदस्यों से आगे निकल गया है। आईएमएफ के 2025 के अनुमानों से संकेत मिलता है कि भारत 2029 तक 6 प्रतिशत (औसत) से अधिक की वृद्धि दर बनाए रखेगा, जिसे मजबूत घरेलू मांग, मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक फंडामेंटल और इसके जनसांख्यिकीय लाभांश का समर्थन प्राप्त है।

उन्होंने कहा कि परचेसिंग-पावर-पैरिटी (पीपीपी) के संदर्भ में, ग्लोबल जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी 2020 में 7 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 8.3 प्रतिशत हो गई है, जो कि 2029 तक 9 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है।

भारत की कामकाजी आयु वर्ग की आबादी (15-64 वर्ष) आने वाले वर्षों में बढ़ने का अनुमान है, वर्तमान में देश की 68 प्रतिशत से अधिक आबादी 15-64 वर्ष के बीच है।

वर्ष 2025 में भारत की कुल जनसंख्या में 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम है। इसके विपरीत, जी7 राष्ट्र जनसांख्यिकीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से अधिक है, जो तेजी से बढ़ती उम्रदराज आबादी, सिकुड़ते लेबर पूल और बढ़ती वृद्धावस्था निर्भरता रेश्यो को उजागर करती है। 2030 तक, जी7 अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह हिस्सा दोगुना या उससे भी ज्यादा होने की उम्मीद है।

स्टडी में कहा गया है कि क्लीन और रिन्यूएबल एनर्जी, क्लाइमेट फाइनेंस, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेड और सप्लाई चेन मजबूती, समुद्री एवं हिंद-प्रशांत सुरक्षा तथा स्वास्थ्य सेवा एवं फार्मा जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग से पारस्परिक रूप से लाभकारी विकास को बढ़ावा मिलेगा।

–आईएएनएस

एसकेटी/

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