वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 5 साल में दोगुना होकर वित्त वर्ष 2024-25 में 22.08 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 11.37 लाख करोड़ रुपये था। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। सकल जीएसटी संग्रह 2024-25 में 22.08 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9.4 प्रतिशत अधिक है।
वित्त वर्ष 2024-25 में औसत मासिक क्या था?
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में औसत मासिक संग्रह 1.84 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि 2023-24 में यह 1.68 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि, 2021-22 में यह 1.51 लाख करोड़ रुपये रहा। अब 4 की जगह 8 घंटे पहले बनेगा आरक्षण चार्ट
जीएसटी के तहत कितने पंजीकृत करदाता हैं?
आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी के तहत पंजीकृत करदाताओं की संख्या 2017 में 65 लाख से बढ़कर 8 साल में 1.51 करोड़ से अधिक हो गई है। जीएसटी के 8 साल पूरे होने पर सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, “इसके लागू होने के बाद से, वस्तु एवं सेवा कर ने राजस्व संग्रह में मजबूत वृद्धि दिखाई है और कर आधार में वृद्धि हुई है। इसने भारत की राजकोषीय स्थिति को लगातार मजबूत किया है और अप्रत्यक्ष करों को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाया है।” 2024-25 में जीएसटी ने 22.08 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक वृद्धि संग्रह दर्ज किया, जो वार्षिक आधार पर 9.4 प्रतिशत की वृद्धि है।
भारत में जीएसटी दरें कौन तय करता है? देश में जीएसटी दरें जीएसटी परिषद द्वारा तय की जाती हैं, जिसमें केंद्र और राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। वर्तमान जीएसटी संरचना में चार मुख्य दरें (5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत) शामिल हैं। ये दरें देश भर में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं।