गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र ग्रंथ है, जिसमें भगवान विष्णु और गरुड़ के बीच संवाद का वर्णन है। यह ग्रंथ जीवन, मृत्यु, धर्म, कर्म, पुनर्जन्म और मोक्ष से जुड़े ज्ञान का गूढ़ रहस्य बताता है। गरुड़ पुराण में स्त्री और पुरुष दोनों के कर्तव्यों और धार्मिक नियमों का उल्लेख है। साथ ही, जीवन की गरिमा और सामाजिक संतुलन से जुड़ी बातें भी बताई गई हैं।
गरुड़ पुराण में पुरुषों के बारे में क्या लिखा है?
गरुड़ पुराण के धर्माख्यान खंड में पुरुषों के लिए नियमों की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि पुरुष को सत्यवादी, संयमी और धार्मिक होना चाहिए। इसके साथ ही, उसे अपने माता-पिता, गुरु और पत्नी की सेवा करनी चाहिए। साथ ही, अपना जीवन दान, तप और जप जैसे सत्कर्मों में व्यतीत करना चाहिए और अहंकार, क्रोध, लोभ और मोह जैसे दोषों से दूर रहना चाहिए। गरुड़ पुराण में पुरुषों के लिए ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास जैसे 4 आश्रमों का उल्लेख है। साथ ही, इन 4 आश्रमों का पालन करना अनिवार्य भी बताया गया है।
महिलाओं के लिए गरुड़ पुराण
गरुड़ पुराण में महिलाओं के लिए भी नियम निर्धारित किए गए हैं। जिसके अंतर्गत एक महिला को परम धर्म का पालन करना चाहिए। उसे अपने पति की सेवा के साथ-साथ पवित्र जीवन व्यतीत करना चाहिए। उसे अपने सास-ससुर का सम्मान करना चाहिए। उसे गृहकार्य में निपुण होना चाहिए। एक महिला का चरित्र उसका सबसे बड़ा रत्न होता है, इसलिए उसमें शील और विनम्रता का भाव होना चाहिए।
गरुड़ पुराण में महिलाओं के लिए क्या लिखा है
गरुड़ पुराण में महिलाओं के बारे में कहा गया है कि जो महिला अपने पति के प्रति निष्ठावान, धार्मिक और विनम्र होती है, उसे मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है। वहीं, जो महिला छल, कपट या गलत आचरण करती है, उसे यमलोक में कष्ट भोगना पड़ता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, स्त्री और पुरुष दोनों के लिए धर्म, कर्तव्य और मर्यादाएँ अलग-अलग निर्धारित की गई हैं, जो समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। ये नियम धार्मिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण हैं ही, साथ ही सामाजिक व्यवस्था और पारिवारिक सुख-शांति के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।