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बाजार खुलते ही निवेशकों में मचा हाहाकार, एक झटके में इन्वेस्टर्स ने खोये 5.5 लाख करोड़, जाने Sensex और Nifty टूटने की बड़ी वजहें

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31 जुलाई 2025 का दिन भारतीय निवेशकों के लिए काला दिन बनकर आया। भारतीय शेयर बाजार के बेंचमार्क इंडेक्स BSE Sensex और Nifty50 में भारी गिरावट दर्ज की गई। बाजार खुलते ही बिकवाली का दबाव इतना ज्यादा था कि महज कुछ ही मिनटों में निवेशकों के 5.5 लाख करोड़ रुपये डूब गए।

  • सुबह 9:20 बजे तक BSE Sensex 604 अंक यानी 0.74% गिरकर 81,668 के स्तर पर पहुंच गया।

  • Nifty50 183 अंक यानी 0.73% टूटकर 24,668 के स्तर पर आ गया।

इस गिरावट के चलते BSE लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन ₹458.85 लाख करोड़ से घटकर ₹453.35 लाख करोड़ पर पहुंच गया।

गिरावट के पीछे की बड़ी वजहें

1) डोनाल्ड ट्रंप का 25% टैरिफ धमकी

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि 1 अगस्त से भारत से आयात किए जाने वाले सामान पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने भारत पर अस्पष्ट पेनल्टी (Penalty) लगाने की भी चेतावनी दी।

  • यह खबर बाजार खुलने से पहले ही आ गई थी, जिससे निवेशक घबराकर बिकवाली करने लगे।

  • विश्लेषकों के अनुसार, यदि यह टैरिफ लागू होता है तो भारतीय निर्यातकों पर सीधा असर पड़ेगा।

किन सेक्टर्स पर असर?

  • टेक्सटाइल (Textile): भारत से अमेरिका को भारी मात्रा में टेक्सटाइल और परिधान निर्यात होते हैं। टैरिफ लगने से यह कारोबार महंगा हो जाएगा।

  • फार्मा (Pharma): भारतीय जेनेरिक दवाएं अमेरिका के स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। टैरिफ से इनकी लागत बढ़ सकती है।

  • ऑटो कंपोनेंट्स (Auto Components): अमेरिका भारत से बड़ी मात्रा में ऑटो पार्ट्स आयात करता है। टैरिफ से यह उद्योग भी प्रभावित होगा।

ट्रंप ने यह भी इशारा किया कि भारत की BRICS समूह में बढ़ती भूमिका और अमेरिका-भारत व्यापार संतुलन बिगड़ने को लेकर वह असंतुष्ट हैं।

2) अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों पर अनिश्चितता

दूसरी बड़ी वजह अमेरिकी Federal Reserve का हालिया बयान रहा। फेड ने लगातार पांचवीं बार ब्याज दरों को यथावत रखा, लेकिन सितंबर में संभावित दर कटौती (Rate Cut) को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया।

  • फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि “अभी यह बताना जल्दबाजी होगी कि दरें घटेंगी या नहीं।”

  • भारतीय निवेशकों को उम्मीद थी कि अमेरिका दरों में कटौती करेगा, जिससे विदेशी निवेश उभरते बाजारों (Emerging Markets) में आएगा।

3) ग्लोबल मार्केट में गिरावट का असर

  • एशियाई बाजारों में भी कमजोरी देखी गई। हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स और जापान का निक्केई इंडेक्स, दोनों ही लाल निशान में खुले।

  • अमेरिकी स्टॉक फ्यूचर्स भी दबाव में थे, जिससे निवेशक रिस्क से बचने के लिए मुनाफावसूली करने लगे।

कौन से सेक्टर्स सबसे ज्यादा प्रभावित हुए?

ऑटो सेक्टर (Auto Sector)

  • Nifty Auto Index में 1% की गिरावट देखी गई।

  • निवेशक मान रहे हैं कि ऑटो कंपोनेंट्स पर लगने वाला टैरिफ निर्यात को नुकसान पहुंचाएगा, जिससे कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा।

बैंकिंग और फाइनेंस (Banking & Finance)

  • बैंकों के शेयरों में बिकवाली का माहौल रहा। HDFC Bank, ICICI Bank, Axis Bank के शेयर 1-1.5% गिरे।

  • निवेशक डर रहे हैं कि वैश्विक मंदी और व्यापारिक तनाव के कारण लोन डिफॉल्ट बढ़ सकते हैं।

मेटल (Metal)

  • धातु कंपनियों जैसे Tata Steel, JSW Steel, Hindalco में गिरावट देखी गई।

  • अमेरिका-भारत व्यापार तनाव का सीधा असर मेटल निर्यात पर पड़ सकता है।

फार्मा (Pharma)

  • दवा कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट रही।

  • अमेरिका भारतीय फार्मा निर्यात का सबसे बड़ा बाजार है। टैरिफ के असर से फार्मा सेक्टर दबाव में रहा।

निवेशकों पर असर: 5.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान

भारतीय शेयर बाजार की गिरावट ने निवेशकों की संपत्ति पर बड़ा असर डाला।

  • सोमवार को ही ₹20,000 करोड़ का नुकसान हुआ था।

  • मंगलवार की सुबह महज 15 मिनट में ₹6,550 करोड़ डूब गए।

  • कुल मिलाकर दो दिनों में निवेशकों का नुकसान ₹5.5 लाख करोड़ तक पहुंच गया।

विशेषज्ञों की राय

1) क्या निवेशकों को घबराना चाहिए?

ब्रोकरेज हाउस Motilal Oswal Financial Services के विश्लेषक का कहना है:

“बाजार में गिरावट अल्पकालिक (Short-Term) है। टैरिफ को लेकर फिलहाल स्पष्टता नहीं है। जैसे ही सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी, स्थिति सामान्य हो सकती है।”

2) क्या यह लंबी मंदी की शुरुआत है?

विशेषज्ञों के अनुसार, यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह लॉन्ग-टर्म बेयर मार्केट की शुरुआत है।

  • भारतीय अर्थव्यवस्था के मूलभूत तत्व (Fundamentals) मजबूत हैं।

  • सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दे रही है।

निवेशकों के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए?

1) विविधीकरण (Diversification)

  • निवेशकों को सलाह दी गई है कि वे केवल इक्विटी (Shares) में ही निवेश न करें।

  • गोल्ड, बॉन्ड्स और म्यूचुअल फंड में निवेश करके जोखिम को बांटें।

2) मजबूत शेयरों में निवेश

  • बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि गिरावट में निवेश करने का मौका होता है, लेकिन केवल ब्लूचिप शेयरों (Bluechip Stocks) में ही निवेश करें।

3) अल्पकालिक जोखिम से बचें

  • अगर निवेशक अल्पकालिक मुनाफे के लिए शेयर बाजार में हैं, तो उन्हें फिलहाल सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा:

“हम अमेरिका के साथ संवाद बनाए हुए हैं। हमारा मानना है कि टैरिफ लगाना किसी के हित में नहीं होगा।”

प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने भी बयान जारी किया कि भारतीय निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। 31 जुलाई 2025 को भारतीय शेयर बाजार में आई भारी गिरावट ने निवेशकों को हिला कर रख दिया। ट्रंप के टैरिफ की धमकी, अमेरिकी फेड के रेट कट को लेकर अनिश्चितता और ग्लोबल मार्केट की कमजोरी ने मिलकर यह दबाव बनाया। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट अस्थायी है और जैसे ही स्थिति स्पष्ट होगी, बाजार में स्थिरता लौट आएगी।

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