5G के बाद अब भारत 6G के लिए तैयार है। देश में 6G तकनीक पर लंबे समय से काम चल रहा है। अब इसे बढ़ावा देने के लिए एक अहम कदम उठाया गया है। आपको बता दें कि हाल ही में दूरसंचार मानक विकास सोसाइटी, भारत (TSDSI) और भारत 6G अलायंस ने 6G कनेक्टिविटी के विकास को आगे बढ़ाने के लिए हाथ मिलाया है। दोनों संगठनों के बीच एक समझौता हुआ है। यह साझेदारी 6G विजन को सफल बनाने के उद्देश्य से की गई है। दोनों अब मिलकर 6G के लिए मानक विकसित करेंगे। ये संगठन वैश्विक स्तर पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगे। यह साझेदारी 2030 तक भारत को 6G तकनीक में वैश्विक स्तर पर शीर्ष पर पहुँचाने में अहम भूमिका निभाएगी। आइए विस्तार से जानते हैं।
दोनों संगठन मिलकर करेंगे यह काम
TSDSI और भारत 6G अलायंस अब भारत में 6G के सपने को साकार करने के लिए मिलकर काम करेंगे। इससे 6G तकनीक के विकास में तेज़ी आएगी। दोनों संगठन मिलकर एक-दूसरे की मदद करेंगे। इससे देश की प्राथमिकताएँ 6G और भविष्य की तकनीक के क्षेत्र में बदल जाएँगी।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि TSDSI के महानिदेशक, ए.के. मित्तल का कहना है कि TSDSI, B6GA के साथ साझेदारी करके खुश है। TSDSI और B6GA अपनी गतिविधियों में आपसी समन्वय और सामंजस्य स्थापित करने के लिए उत्सुक हैं। इसका अनुसंधान और विकास के परिणामों पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, यह वैश्विक मानकों के विकास में भी योगदान देगा। इसका मतलब है कि TSDSI और B6GA मिलकर 6G तकनीक को बेहतर बनाने में मदद करेंगे।भारत 6G अलायंस के महानिदेशक, राजेश कुमार पाठक का कहना है कि यह साझेदारी वैश्विक मानकों के विकास की प्रक्रिया में भारत की भागीदारी को मज़बूत करेगी। इसका मतलब है कि यह साझेदारी 6G विज़न को आगे बढ़ाने में काफ़ी मददगार होगी।
2023 में देखा गया था 6G विज़न
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2023 में भारत 6G विज़न दस्तावेज़ जारी किया था। इसका उद्देश्य 6G नेटवर्क को डिज़ाइन, विकसित और तैनात करना है। भारत का लक्ष्य 2030 तक 6G तकनीक में वैश्विक स्तर पर उभरना है। इसमें देश का साथ देने के लिए भारत 6G अलायंस आगे आया है। यह घरेलू उद्योग, शिक्षा, राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों और मानक संगठनों का एक गठबंधन है। यह भारत के 6G विज़न को ध्यान में रखते हुए एक योजना बनाएगा।यह समझौता भारत को 6G तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ा खिलाड़ी बनने में काफ़ी मदद करेगा। इससे 6G के विकास में भी तेज़ी आएगी। साथ ही, लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी भी मिलेगी।