वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में संशोधित आयकर विधेयक 2025 पेश किया, जो पुराने आयकर अधिनियम 1961 का स्थान लेगा। इसका उद्देश्य कर कानून को सरल, स्वच्छ और आधुनिक बनाना है। सरकार ने इसमें प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशों को शामिल किया है। पीटीआई न्यूज़ के अनुसार, पुराना कानून काफी जटिल हो गया था, 60 वर्षों में इसमें 4,000 से ज़्यादा बदलाव किए गए और 5 लाख से ज़्यादा शब्द जोड़े गए। अब नया कानून लगभग 50% छोटा और समझने में आसान होगा।
1961 बनाम 2025 – बड़े बदलाव
अब “पिछले वर्ष” और “आकलन वर्ष” की जगह केवल एक “कर वर्ष” होगा।
अनावश्यक और भ्रामक नियमों को हटाकर मुकदमेबाजी की संभावना कम की जाएगी।
सीबीडीटी को डिजिटल युग के अनुसार नए नियम बनाने का अधिकार मिलेगा।
कानून को 536 धाराओं और 16 अनुसूचियों में व्यवस्थित किया जाएगा।
भाषा इतनी सरल होगी कि आम आदमी भी इसे समझ सकेगा।
महत्वपूर्ण राहतें और लाभ
कर वापसी: देर से रिटर्न दाखिल करने वालों को भी कर वापसी मिलेगी।
लाभांश राहत: कंपनियों में ₹80 लाख तक के लाभांश पर कटौती फिर से लागू कर दी गई है।
शून्य-टीडीएस विकल्प: जिन लोगों पर कर देयता नहीं है, वे अग्रिम रूप से शून्य-टीडीएस प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकेंगे।
खाली मकान पर राहत: केवल अनुमानित किराए पर कर लगाने का नियम समाप्त कर दिया गया है।
गृह संपत्ति कटौती: नगर निगम कर में 30% कटौती और किराए के मकान पर ब्याज कटौती जारी रहेगी।
पीएफ, अग्रिम नियमन शुल्क, जुर्माने के नियमों को सरल बनाया जाएगा।
पेंशन लाभ: अब गैर-कर्मचारी भी कम्यूटेड पेंशन पर कटौती का लाभ उठा सकेंगे।
स्लैब में बदलाव
कर छूट की सीमा ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख कर दी गई है। मध्यम वर्ग के पास अब अधिक पैसा होगा, जिससे उपभोग, बचत और निवेश में वृद्धि होने की उम्मीद है। सरकार का दावा है कि नया कानून पारदर्शी, आसान और जन-अनुकूल होगा, जिससे कर प्रक्रिया में होने वाली उलझनें काफी हद तक खत्म हो जाएंगी।