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अमेरिकी टैरिफ के असर से कैसे निपटेगी भारत सरकार? संसदीय समिति के सामने पेश हुई रणनीति

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सरकार ने सोमवार को एक संसदीय समिति को बताया कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में कुछ ‘लक्ष्य रेखाओं’ को पार नहीं किया जा सकता और अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी शुल्कों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं। सूत्रों ने पीटीआई को यह जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की स्थायी समिति को ‘भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और शुल्क’ विषय पर जानकारी दी।

कृषि और डेयरी क्षेत्र के साथ कोई समझौता नहीं

सूत्रों के अनुसार, संसदीय समिति को बताया गया कि अमेरिका के साथ भारत के व्यापारिक संबंध कठिन दौर से गुजर रहे हैं और सरकार इससे निपटने के लिए कदम उठा रही है। सूत्रों ने बताया कि व्यापार वार्ता से संबंधित ‘लक्ष्य रेखा’ कृषि और डेयरी क्षेत्र को खोलने की अमेरिकी मांग पर भारत के दृढ़ रुख को दर्शाती है। इसके साथ ही, ट्रंप ने कहा है कि जब तक भारत और अमेरिका के बीच शुल्क विवाद का समाधान नहीं हो जाता, तब तक कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी।

भारत और अमेरिका के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इसके साथ ही, सरकार ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए निर्यात विविधीकरण रणनीति पर ज़ोर देने और अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों का लाभ उठाने की तैयारी चल रही है। हालाँकि, सरकार ने संसदीय समिति को बताया कि भारत-अमेरिका संबंधों को केवल व्यापारिक तनावों से नहीं आंका जाना चाहिए और इसे एक ‘स्थायी और रणनीतिक’ साझेदारी के रूप में देखा जाना चाहिए।

अमेरिका ने भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया

आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था और रूस के साथ व्यापार करने पर अलग से जुर्माना लगाने की बात कही थी। बाद में ट्रंप ने जुर्माने के तौर पर भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की। जिसके बाद भारतीय उत्पादों पर कुल अमेरिकी टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है।

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