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13 अगस्त को ही क्यों मनाते हैं अंगदान दिवस? जानिए World Organ Donation Day 2025 का इतिहास और थीम

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हर साल 13 अगस्त को पूरी दुनिया में विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। यह दिन उन गुमनाम नायकों को नमन करने का दिन है जिन्होंने अंगदान करके दूसरों को जीवन का सबसे अनमोल उपहार दिया है। क्या आपने कभी सोचा है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उसके अंग किसी और के शरीर में धड़क सकते हैं, साँस ले सकते हैं और देख सकते हैं? जी हाँ, यह दिन हमें इसी चमत्कार के बारे में बताता है और अंगदान जैसे महादान का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को अंगदान के महत्व के बारे में जागरूक करना और इस संबंध में फैली भ्रांतियों को दूर करना है।

अंगदान क्यों महत्वपूर्ण है?

अमेरिका के यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग (UNOS) के अनुसार, हज़ारों लोग जीवन रक्षक अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में हैं, लेकिन उपलब्ध दाताओं की संख्या बहुत कम है। हर एक दाता 8 लोगों की जान बचा सकता है और 75 से ज़्यादा लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है। इसीलिए अंगदान को जीवन का सबसे बड़ा उपहार कहा जाता है।

विश्व अंगदान दिवस क्यों मनाया जाता है?

अंग प्रत्यारोपण की शुरुआत 20वीं सदी से देखी जा सकती है। 1954 में, डॉ. जोसेफ मरे ने एक जीवित दाता (रोनाल्ड ली हेरिक) से प्राप्त किडनी को पहली बार अपने जुड़वां भाई में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया। यही वह क्षण था जिसने आगे चलकर हृदय, यकृत, फेफड़े और अन्य अंगों के प्रत्यारोपण का मार्ग प्रशस्त किया। इस ऐतिहासिक घटना ने अंगदान के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी। यह दिन हमें उस चिकित्सा प्रगति की याद दिलाता है जिसने हज़ारों लोगों को नया जीवन दिया है।

वर्ष 2025 का विषय क्या है?

इस वर्ष विश्व अंगदान दिवस का नारा है – “आह्वान का उत्तर देना” अर्थात अंगदान से जुड़े सभी पेशेवरों, डॉक्टरों, नर्सों और संगठनों को अपनी प्रतिबद्धता और टीम वर्क को मज़बूत करना चाहिए, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को नया जीवन मिल सके। यह विषय रोगियों और उनके परिवारों के लिए भी आशा की किरण है।

भारत में अंगदान का इतिहास

भारत की बात करें तो देश का पहला सफल रोगग्रस्त दाता हृदय प्रत्यारोपण 3 अगस्त 1994 को हुआ था, जिसने चिकित्सा जगत में एक नया अध्याय जोड़ा। यही कारण है कि 2023 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय अंगदान दिवस की तिथि 27 नवंबर से बदलकर 3 अगस्त कर दी, ताकि इस ऐतिहासिक क्षण को याद रखा जा सके।

अंगदान से जुड़ी भ्रांतियाँ

अंगदान को लेकर लोगों के मन में आज भी कई भ्रांतियाँ और डर बने हुए हैं – जैसे मृत्यु के बाद अंगों का सही उपयोग न होना या परिवार को किसी भी तरह की परेशानी होना। विश्व अंगदान दिवस का एक खास उद्देश्य इन भ्रांतियों को दूर करना और सही जानकारी देना है, ताकि लोग सोच-समझकर फैसला ले सकें।

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