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सोशल मीडिया पर हंगामा! अब LIVE ट्रैक कर सकेंगे दोस्तों की लोकेशन, यूज़र्स बोले- प्राइवेसी का क्या होगा?

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मेटा के स्वामित्व वाले फ़ोटो और शॉर्ट वीडियो प्लेटफ़ॉर्म इंस्टाग्राम ने चुपचाप भारत में अपना नया फ्रेंड मैप फ़ीचर पेश कर दिया है। यह टूल यूज़र्स को अपने दोस्तों की रीयल-टाइम लोकेशन देखने, हैंगआउट स्पॉट शेयर करने और कॉमन मीटिंग प्लेस ढूँढने की सुविधा देता है। इसका कॉन्सेप्ट कुछ हद तक स्नैपचैट के स्नैप मैप जैसा है। हालाँकि इसे दोस्तों के बीच ऑफलाइन कनेक्शन बढ़ाने के लिए बनाया गया है, लेकिन गोपनीयता और सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

फ्रेंड मैप का उद्देश्य
मेटा का कहना है कि इस फ़ीचर का उद्देश्य दोस्तों को ऑफलाइन मिलने के लिए प्रेरित करना, आस-पास नई जगहें ढूँढ़ने में मदद करना और अचानक होने वाली मीटिंग्स को आसान बनाना है। इसे एक मज़ेदार सोशल टूल के तौर पर पेश किया गया है जो पर्सनल कनेक्शन को मज़बूत कर सकता है। लेकिन इसके ज़रिए फ़ॉलोअर्स किसी की गतिविधियों पर नज़र भी रख सकते हैं, जिससे यह स्टॉकिंग टूल में बदल सकता है।

फ्रेंड मैप की विशेषताएँ
रीयल-टाइम लोकेशन शेयरिंग: यह तभी दिखाई देगा जब यूज़र ने इसे ऑन किया हो।
ऐप और कंटेंट-बेस्ड ट्रैकिंग: जब आप इंस्टाग्राम खोलते हैं या किसी पोस्ट/स्टोरी में किसी लोकेशन को टैग करते हैं, तो हाल की लोकेशन सेव हो जाती है।
लोकेशन हिस्ट्री: बार-बार चेक-इन करने से आपकी गतिविधियों के पैटर्न और पसंदीदा जगहों का पता चल सकता है।
मेटा इंटीग्रेशन: Facebook और Messenger से डेटा के लिंक।

इसे अपने फ़ोन पर कैसे इस्तेमाल करें?
Instagram के मैसेज सेक्शन में जाएँ और फ्रेंड मैप विकल्प चालू करें।
लोकेशन शेयरिंग सेटिंग में तय करें कि आपका लोकेशन कौन देख सकता है।
आप चाहें तो लोकेशन शेयर कर सकते हैं या इसे पूरी तरह से बंद कर सकते हैं।
यह सुविधा वर्तमान में भारत सहित कुछ देशों में धीरे-धीरे शुरू हो रही है। डिफ़ॉल्ट रूप से, जब तक आप इसे चालू नहीं करते, यह बंद रहेगी।

इससे उपयोगकर्ताओं को क्या लाभ होगा?
आस-पास के दोस्तों के साथ मीटअप की योजना बनाना आसान।
नए और आम हैंगआउट स्पॉट खोजें।
Instagram पर ज़्यादा इंटरैक्टिव और सोशल अनुभव।
गोपनीयता संबंधी चिंताएँ बढ़ीं
सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह सुविधा जितनी सुविधाजनक है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है।
शारीरिक जोखिम: पीछा करना, उत्पीड़न या घर से दूर होने की जानकारी प्राप्त करना।
डिजिटल शोषण: लक्षित विज्ञापनों, घोटालों और प्रोफ़ाइलिंग के लिए डेटा का उपयोग।
डेटा लीक: मेटा के पिछले डेटा लीक मामलों से पता चलता है कि लोकेशन डेटा हैकर्स के लिए आकर्षक हो सकता है।
एन्क्रिप्शन का अभाव: लोकेशन डेटा एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड नहीं है, जिससे मेटा और साइबर अपराधी इसे एक्सेस कर सकते हैं।

इंस्टाग्राम के लिए मेटा का विज़न
मेटा अब इंस्टाग्राम को सिर्फ़ एक फ़ोटो-शेयरिंग ऐप नहीं, बल्कि एक ऐसा सोशल हब बनाना चाहता है जो वास्तविक जीवन के कनेक्शन को भी बढ़ावा दे। अपने इकोसिस्टम में लोकेशन डेटा जोड़कर, कंपनी न सिर्फ़ इंटरैक्शन बढ़ाना चाहती है, बल्कि लक्षित विज्ञापन को भी मज़बूत करना चाहती है। हालाँकि, इससे यह सवाल उठता है कि सुविधा और गोपनीयता के बीच सही संतुलन कहाँ बनाया जाएगा।

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