पिछले कुछ समय से बॉलीवुड और डिजिटल दुनिया के सितारे लगातार गैंगस्टरों के निशाने पर हैं। कभी मुंबई के बांद्रा स्थित सलमान खान के गैलेक्सी अपार्टमेंट पर गोलीबारी, कभी कनाडा में कपिल शर्मा के कैफ़े पर गोलीबारी, और अब गुड़गांव में एल्विस यादव के घर पर अचानक हमला। हर बार जब किसी गैंग का नाम सामने आता है, तो सोशल मीडिया पर ज़िम्मेदारी लेने वाले बयान वायरल हो जाते हैं और पुलिस को सुरक्षा बढ़ानी पड़ती है। सवाल यह है कि गैंगस्टर इन हस्तियों के पीछे क्यों पड़े हैं? क्या यह सिर्फ़ वसूली का खेल है, या शोहरत और प्रचार का नया हथियार?
अप्रैल 2024 में सुपरस्टार सलमान खान के घर पर गोलीबारी, अगस्त 2025 में मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा के कनाडा स्थित कैफ़े पर दो बार गोलीबारी और अब 17 अगस्त 2025 को गुरुग्राम में एल्विस यादव के घर पर गोलीबारी। हर मामले में गैंग ने सोशल मीडिया पर ज़िम्मेदारी ली। जिसके बाद पुलिस ने इन हस्तियों की सुरक्षा बढ़ा दी और एफ़आईआर दर्ज की। इन सभी घटनाओं ने यह सवाल उठाया कि गैंगस्टर इन हस्तियों पर क्यों ध्यान केंद्रित करते हैं?
गैलेक्सी अपार्टमेंट में गोलीबारी 14-15 अप्रैल 2024 को मुंबई के बांद्रा स्थित सलमान खान के घर के बाहर गोलीबारी हुई। शुरुआती जाँच में लॉरेंस बिश्नोई नेटवर्क का नाम सामने आया और दो आरोपियों की गिरफ़्तारी हुई। बाद में इस गिरोह के कई सदस्यों पर साज़िश रचने और कुछ पर रैकेट चलाने का भी आरोप लगाया गया। अक्टूबर 2024 में एक शूटर की गिरफ़्तारी की ख़बर भी सामने आई। कुछ आरोपियों को अदालत से ज़मानत मिल गई, लेकिन मामला अभी भी चल रहा है। यह घटना आने वाले महीनों के लिए ‘टेम्पलेट’ बन गई।
खुली धमकियाँ और गिरोह का दुष्प्रचार कपिल शर्मा के कैफ़े में गोलीबारी के बाद, बिश्नोई समूह से जुड़े लोगों ने ऑडियो और पोस्ट के ज़रिए फ़िल्म उद्योग को धमकी दी – ‘जो भी सलमान के साथ काम करेगा उसे बख्शा नहीं जाएगा… मुंबई का माहौल खराब कर देगा… AK-47 का इस्तेमाल करेगा।’ ऐसी धमकियाँ न सिर्फ़ डर फैलाती हैं, बल्कि गिरोह की “ब्रांड वैल्यू” और भर्ती व जबरन वसूली के तंत्र को भी बढ़ावा देती हैं। पुलिस और ख़ुफ़िया एजेंसियों ने इन क्लिप और पोस्ट को जाँच में शामिल किया है।
जुलाई-अगस्त 2025 में, कनाडा के सरे स्थित कपिल शर्मा के कैफ़े पर एक महीने के अंदर दो बार गोलीबारी हुई। किसी के घायल होने की खबर नहीं है, लेकिन एक सोशल मीडिया पोस्ट में मुंबई में ‘अगला निशाना’ बनने की धमकी दी गई थी। इसके बाद, मुंबई पुलिस ने कपिल की सुरक्षा बढ़ा दी और प्रत्यक्ष खतरों की जाँच की। मनोरंजन उद्योग में शूटिंग शेड्यूल और लाइव इवेंट्स पर भी प्रोटोकॉल कड़े कर दिए गए।
एलविश यादव के घर पर अंधाधुंध गोलीबारी का ताज़ा मामला 17 अगस्त 2025 का है। जब बाइक सवार बदमाशों ने गुड़गांव के सेक्टर-57 स्थित एलविश यादव के घर पर 10-24 राउंड से ज़्यादा फायरिंग की। हमले की पूरी घटना वहाँ लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई। एलविश उस समय घर पर नहीं थे। कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन घर की दीवारें और खिड़कियाँ क्षतिग्रस्त हो गईं। एक गिरोह ने सोशल मीडिया पर हमले की ज़िम्मेदारी ली और इसे ‘सट्टेबाज़ी ऐप के प्रचार’ का नाम दिया। पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज कर ली है और दावों की जाँच कर रही है।
लॉरेंस गैंग का आतंक कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के गैंग का नाम इन हमलों में बार-बार सामने आया है। यह गैंग न केवल सलमान खान, बल्कि उनके करीबियों को भी निशाना बना रहा है। गैंग का मकसद डर फैलाना और फिरौती वसूलना बताया जा रहा है। बिश्नोई गैंग की पहुंच भारत के साथ-साथ कनाडा में भी है, जहां पंजाबी कलाकारों पर हमले बढ़ रहे हैं। पंजाबी कलाकारों पर बढ़ते हमले 2022 में पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के सुपरस्टार सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उनकी कार पर करीब दो दर्जन गोलियां चलाई गईं, जिसके पीछे भी लॉरेंस बिश्नोई गैंग का नाम आया था। सितंबर 2024 में कनाडा में पंजाबी गायक एपी ढिल्लों के घर के बाहर गोलीबारी हुई थी, जिसकी जिम्मेदारी इसी गैंग के रोहित गोदारा ने ली थी। इन हमलों का मकसद सलमान खान के करीबियों को डराना माना जा रहा है।
क्या है पैटर्न?
मशहूर हस्तियों को गोली मारने या धमकाने की हाई-विजिबिलिटी घटनाएं किसी भी गैंग के लिए पीआर और पब्लिसिटी का काम करती हैं। कम संसाधनों में हाई इम्पैक्ट हेडलाइन्स बन जाती हैं। पुलिस ने पिछले कुछ वर्षों में देखा है कि दिल्ली-पंजाब-हरियाणा क्षेत्र में मुंबई शैली की जबरन वसूली का चलन बढ़ा है। बड़े नामों को निशाना बनाने से छोटे और मध्यम व्यवसायों पर दबाव बढ़ता है। यह मुंबई-अंडरवर्ल्ड की पुरानी रणनीति का ही एक नया रूप है, जहाँ सोशल मीडिया एक उत्प्रेरक बन गया है।
पुरानी दुश्मनी, नाराज़गी और प्रतिशोध: सलमान खान मामले में बिश्नोई संप्रदाय के काले हिरण विवाद का धार्मिक-प्रतीकात्मक पहलू बार-बार सामने आया है। वहीं, धमकियों में ‘जिसने साथ दिया, उसने भी निशा’ जैसी पंक्तियाँ गिरोह-तंत्र का विस्तार करती हैं। एल्विश यादव मामले में कथित ‘सट्टेबाजी ऐप’ का आख्यान जोड़ा गया। ये कभी-कभी ‘औचित्य’ बन जाते हैं, जिससे जनता की सहानुभूति बँट जाती है और गिरोह का दुष्प्रचार वायरल हो जाता है। असली खेल अक्सर पैसे, प्रभुत्व और डिजिटल पहुँच का मिश्रण होता है।
सलमान खान के घर पर गोलीबारी के सिलसिले में पुलिस की रणनीति कई गिरफ्तारियों और ज़मानत की जानकारी के साथ सामने आई है। कुछ शूटर और रसद संचालक पकड़े गए। कपिल शर्मा मामले में मुंबई पुलिस ने स्थानीय स्तर पर जवाबी कार्रवाई और समन्वय को मज़बूत किया है, जबकि कनाडा में एक अलग जाँच चल रही है। एल्विश यादव के मामले में, गुड़गांव पुलिस ने आईपीसी और आर्म्स एक्ट के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की है और सीसीटीवी, बैलिस्टिक और साइबर ट्रेसिंग पर ध्यान केंद्रित किया है। खतरे के आकलन के आधार पर मशहूर हस्तियों की सुरक्षा और यात्रा योजनाओं में बदलाव किए गए हैं।
गैंगस्टर क्यों पीछे हैं?
1. ज़बरदस्त प्रचार: जब किसी बड़े फ़िल्मी सितारे या सेलिब्रिटी को निशाना बनाया जाता है, तो यह खबर पूरे देश में सुर्खियाँ बन जाती है। एक छोटे से हमले या धमकी की खबर भी टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो जाती है। इससे गैंगस्टरों को “मुफ़्त का प्रचार” मिल जाता है, जिसके लिए उन्हें कुछ और नहीं करना पड़ता। उनकी पहचान और नाम अचानक लोगों की जुबान पर आ जाता है।
2. जबरन वसूली: गिरोह का मकसद अक्सर जबरन वसूली होता है। बड़े नामों पर हमला करने से छोटे व्यापारी, बिल्डर या व्यवसायी और भी जल्दी डर जाते हैं। उन्हें लगता है कि अगर सेलिब्रिटी सुरक्षित नहीं है, तो उनका क्या काम। ऐसे में वे बिना विरोध किए गिरोह को पैसे देना शुरू कर देते हैं। यानी किसी सितारे को निशाना बनाकर, बाकी समाज में डर फैलाकर, कमाई का एक आसान ज़रिया बन जाता है।
3. सोशल मीडिया का दौर: आज के ज़माने में, एक धमकी भरा ऑडियो, वीडियो या पोस्ट पलक झपकते ही लाखों लोगों तक पहुँच जाता है। गैंगस्टर इसी का फ़ायदा उठाते हैं। किसी घटना के बाद वे सोशल मीडिया पर ज़िम्मेदारी लेते हैं और डर का माहौल और गहरा होता जाता है। इससे उनका नेटवर्क मज़बूत होता है और दूसरे अपराधियों पर उनकी पकड़ का संदेश जाता है।
4. प्रवासी-संबंधी गिरोह: कई बड़े गैंगस्टर विदेश में बैठकर भारत में अपराध करते हैं। चाहे वह कनाडा हो, अमेरिका हो या दुबई। वहाँ से सक्रिय होने के कारण पुलिस के लिए सीधी कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है। अलग-अलग देशों के अलग-अलग क़ानून हैं और जाँच प्रक्रिया लंबी होती है। इस वजह से ये गिरोह भारत में बैठे अपने लोगों को सुरक्षित दूरी से आदेश देकर डर और हिंसा का खेल खेलते रहते हैं।
5. पुरानी दुश्मनी और दुश्मनी: कुछ मामलों में मशहूर हस्तियों के ख़िलाफ़ पहले से मौजूद कोई विवाद या धार्मिक-प्रतीकात्मक मुद्दा जोड़ दिया जाता है। उदाहरण के लिए, सलमान खान मामले में ‘काले हिरण के शिकार’ का मुद्दा बार-बार उठाया गया। इससे गैंगस्टर यह दिखाना चाहते हैं कि उनका हमला किसी मकसद से है। लेकिन असल में यह सब भीड़ को प्रभावित करने और अपने गिरोह को मशहूर बनाने की एक चाल है। पुराने विवादों, सोशल मीडिया और धमकियों के प्रचार का यह मेल इन हमलों को कम जोखिम, ज़्यादा मुनाफ़े का सौदा बना देता है।
आगे क्या? मनोरंजन उद्योग के लिए मानक ख़तरा मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOP) ज़रूरी हैं, जैसे स्थानों की रीकी-प्रूफिंग, यात्रा मार्ग का अस्पष्टीकरण, लाइव इवेंट एंट्री प्रोटोकॉल और डिजिटल निगरानी। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को ख़तरनाक सामग्री को हटाने और क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों तक डेटा पहुँच बढ़ाने में तेज़ी लानी होगी। प्रशंसकों के लिए भी ख़तरों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करें और रिपोर्ट करें। यह तरीका गिरोह-प्रचार की ‘पहुँच अर्थव्यवस्था’ को तोड़ सकता है।