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वनडे क्रिकेट में दोहरे शतक लगाने वाले बल्लेबाजों पर एक नजर

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क्रिकेट न्यूज डेस्क।। एक समय था जब वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाना किसी सपने से कम नहीं था। 1990 के दशक में कई बल्लेबाज अपने प्रदर्शन में शानदार थे, लेकिन 200 रन का आंकड़ा पार करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण माना जाता था। उस समय बल्लेबाजी की शैली, खेल की रणनीति और मैच की परिस्थितियां बल्लेबाजों के लिए बड़ी चुनौती पैदा करती थीं।

90 के दशक के बल्लेबाजों ने कई बार इस उपलब्धि के करीब पहुंचने की कोशिश की। शानदार पारियां खेलीं, लेकिन सीमित ओवरों और धीमी स्ट्राइक रेट के कारण दोहरे शतक का सपना अधूरा रह गया। विशेषज्ञों का कहना है कि उस समय बल्लेबाजों के पास इतनी आधुनिक तकनीक और सुविधाएं नहीं थीं, जो आजकल उपलब्ध हैं।

इसके बाद इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने वनडे क्रिकेट में बदलाव किया और दो गेंदों का उपयोग शुरू किया। इस नियम परिवर्तन ने बल्लेबाजों के लिए रन बनाने की संभावनाओं को बढ़ा दिया। तेज रन-रेट और बेहतर स्ट्राइक रोटेशन के कारण बल्लेबाज अब लंबे समय तक पिच पर टिककर बड़ी पारियां खेल सकते थे।

इस बदलाव के बाद वनडे क्रिकेट में दोहरे शतकों की झड़ी लग गई। बल्लेबाजों ने 200 से अधिक रन बनाना शुरू कर दिया और कई रिकॉर्ड स्थापित किए। अब बल्लेबाजों के लिए दोहरा शतक केवल सपना नहीं रहा, बल्कि इसका महत्व एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जाने लगा।

दोहरे शतक लगाने वाले बल्लेबाजों में सबसे पहले नाम आता है सचिन तेंदुलकर का। उन्होंने 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 200 रन का बड़ा स्कोर बनाया और वनडे क्रिकेट में नया इतिहास रचा। इसके बाद कई बल्लेबाजों ने इस उपलब्धि को दोहराया, जिनमें विराट कोहली, रोहित शर्मा, मार्टिन गुप्टिल और चार्ल्स एरिक्सन जैसे नाम शामिल हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि दोहरा शतक सिर्फ बल्लेबाज की व्यक्तिगत क्षमता का प्रमाण नहीं है, बल्कि टीम के लिए मैच जीतने की संभावनाओं को भी बढ़ाता है। इस रिकॉर्ड के दौरान बल्लेबाज का मानसिक संतुलन, धैर्य और शॉट चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

आज के दौर में वनडे क्रिकेट में दोहरे शतक लगाना अपेक्षाकृत आसान हुआ है, लेकिन फिर भी इसे हासिल करना किसी खिलाड़ी के करियर की बड़ी उपलब्धियों में गिना जाता है। युवा बल्लेबाजों के लिए यह प्रेरणा का स्रोत भी है। वे इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए तकनीक, अभ्यास और मानसिक तैयारी पर जोर दे रहे हैं।

दोहरे शतक ने वनडे क्रिकेट को और रोमांचक बना दिया है। यह बल्लेबाजों की क्षमता, खेल की रणनीति और मैच की स्थिति के बीच संतुलन को दर्शाता है। इसके अलावा, फैंस और दर्शक भी इन पारियों का बेसब्री से इंतजार करते हैं और इसे खेल का सबसे रोमांचक पल मानते हैं।

इस प्रकार, वनडे क्रिकेट में दोहरे शतक का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। यह न केवल बल्लेबाज की तकनीकी और मानसिक क्षमता का प्रतीक है, बल्कि टीम के लिए बड़े स्कोर और जीत की संभावनाओं को भी मजबूत करता है। आइए फैंस के रूप में हम इन बल्लेबाजों की पारियों का आनंद लें और उनके रिकॉर्ड को सराहें।

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