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पूर्व विदेश सचिव ने आंकड़ों के साथ खोली अमेरिकी प्रोपेगेंडा की पोल, पर्दे के पीछे बातचीत अब और नहीं..

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अमेरिका की ओर से भारत पर टैरिफ में 25% से 50% तक की अतिरिक्त वृद्धि की गई है। इसके बाद भी राष्ट्रपति ट्रंप शांत नहीं हुए हैं और भारत के साथ व्यापार को लेकर अलग-अलग बयान देते नज़र आ रहे हैं। हाल ही में उन्होंने भारत पर एकतरफ़ा व्यापारिक संबंधों का आरोप लगाते हुए कहा कि वह लंबे समय से अमेरिका को अपने सबसे बड़े ग्राहकों में से एक मानता रहा है, लेकिन बदले में उसे अपने साथ व्यापार करने के बहुत कम अवसर दिए हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध दशकों से असंतुलित रहे हैं। इसी को लेकर पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए अमेरिकी दुष्प्रचार की पोल खोल दी है। उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के बयान को नाटक बताया है।

ट्रंप ने एक बड़ा आरोप लगाया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर गौर करें, उन्होंने कहा है कि भारत अमेरिका में अपना सामान बड़ी मात्रा में बेचता है, जबकि इसकी तुलना में अमेरिकी कंपनियां भारत में बहुत कम व्यापार कर पाती हैं, क्योंकि भारत में टैरिफ बहुत ज़्यादा है और यह सबसे ज़्यादा है, जिसके कारण अमेरिकी उत्पाद भारतीय बाज़ार तक नहीं पहुँच पाते। ट्रंप के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पूरी तरह से एकतरफ़ा और नुकसानदेह हैं।

पूर्व विदेश सचिव बोले- ‘ये सच नहीं…’ पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने ट्रंप के इस बयान पर एक सोशल मीडिया पोस्ट शेयर करते हुए कुछ आंकड़े गिनाए हैं और कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अमेरिका को व्यापार में भारत का सबसे बड़ा शिकार बताना एक नाटक है। अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा कि भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा केवल 41.5 अरब डॉलर है, जबकि चीन के साथ यह 270 अरब डॉलर है। यूरोपीय संघ के साथ यह घाटा 161 अरब डॉलर और मेक्सिको के साथ 157 अरब डॉलर है।

इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि वियतनाम के साथ व्यापार घाटा 113.1 अरब डॉलर, ताइवान के साथ 67.4 अरब डॉलर, जापान के साथ 62.6 अरब डॉलर, दक्षिण कोरिया के साथ 60.2 अरब डॉलर और कनाडा के साथ 54.8 अरब डॉलर है, जो भारत से भी ज़्यादा है। ऐसे में ट्रंप के अनुसार, यह कहना ग़लत है कि भारत के साथ व्यापार नुकसानदेह है।

भारत का व्यापार लगातार बढ़ा है। पूर्व भारतीय विदेश सचिव ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापार के विस्तार को भी आँकड़ों के साथ समझाया और बताया कि अमेरिका के साथ भारत का आयात-निर्यात लगभग 83.4 अरब डॉलर का था, जिसमें भारत को अमेरिकी सेवाओं का निर्यात 41.8 अरब डॉलर और अमेरिका को 41.6 अरब डॉलर का था। रक्षा क्षेत्र की बात करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा व्यापार लगभग शून्य था, लेकिन वर्ष 2024 में यह लगभग 22 अरब डॉलर तक पहुँच गया है।

अमेरिकी टैरिफ पर उठे सवाल इससे पहले भी पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ हमले को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने एक पोस्ट के ज़रिए कहा था कि चीन भी रूस से तेल खरीद रहा है, लेकिन चीन पर जुर्माना नहीं लगाया जाता, यूरोप तेल खरीद रहा है, क्या युद्ध के लिए रूस को पैसा देना ठीक है?

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका खुद रूस से धातु समेत अन्य सामान खरीदता है। कंवल सिब्बल के अनुसार, अमेरिका द्वारा अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ाने, खरबों डॉलर का राजस्व उत्पन्न करने और रोजगार बढ़ाने के लिए शुरू की गई उच्च टैरिफ नीति एक अच्छी नीति हो सकती है, लेकिन भारत द्वारा अपने सबसे संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा के लिए लगाए गए टैरिफ ट्रम्प द्वारा अनुमोदित नहीं हैं।

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