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शिक्षा, कौशल विकास और एआई पर जनता दे रही सुझाव, अब तक करीब डेढ़ लाख फीडबैक दर्ज

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लखनऊ, 14 सितंबर (आईएएनएस)। योगी सरकार द्वारा संचालित ‘समर्थ उत्तर प्रदेश–विकसित उत्तर प्रदेश @2047’ अभियान निरंतर जनभागीदारी और सुझावों के साथ आगे बढ़ रहा है। रविवार तक प्रदेश के सभी 75 जनपदों में नोडल अधिकारियों एवं प्रबुद्धजनों ने भ्रमण कर छात्रों, शिक्षकों, व्यवसायियों, उद्यमियों, कृषकों, स्वयंसेवी संगठनों, श्रमिक संगठनों, मीडिया और आम जनमानस से संवाद किया।

इस संवाद में न केवल विगत आठ वर्षों की विकास यात्रा साझा की गई, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने हेतु रोडमैप पर चर्चा और फीडबैक भी प्राप्त किया गया।

सरकार द्वारा विकसित पोर्टल ‘समर्थउत्तरप्रदेश.यूपी.जीओवी.इन’ पर अब तक करीब डेढ़ लाख फीडबैक दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें से करीब एक लाख फीडबैक ग्रामीण क्षेत्रों से और बाकी नगरीय क्षेत्रों से प्राप्त हुए। आयु वर्ग के अनुसार करीब 50 हजार सुझाव 31 वर्ष से कम आयु वर्ग से, 75 हजार सुझाव 31-60 वर्ष वर्ग से और बाकी सुझाव 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग से आए हैं।

जनता के बीच शिक्षा अब भी सबसे बड़ा मुद्दा है। करीब 50 हजार सुझाव शिक्षा से जुड़े मिले। इसके अलावा नगरीय एवं ग्रामीण विकास से जुड़े करीब 25 हजार, स्वास्थ्य पर 15 हजार से अधिक, समाज कल्याण पर करीब 15 हजार और कृषि क्षेत्र से संबंधित 20 हजार से अधिक सुझाव दर्ज किए गए।

कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, जौनपुर, बलरामपुर, प्रतापगढ़ और फिरोजाबाद जैसे जनपदों से सबसे अधिक भागीदारी रही। इन जिलों से कुल 53,996 से अधिक फीडबैक प्राप्त हुए, जो दर्शाता है कि जनता इस अभियान को गंभीरता से ले रही है।

अरुण कुमार द्विवेदी, दीपाली और वैशाली रैना सहित कई प्रबुद्धजनों ने सुझाव दिया कि शिक्षा को कौशल विकास के साथ जोड़ना समय की आवश्यकता है। छात्रों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए स्कूल पाठ्यक्रम में व्यावसायिक विषयों को शामिल करने और ई-लर्निंग पोर्टल के माध्यम से मुफ्त कौशल विकास कोर्स उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया। साथ ही, शहरी क्षेत्रों में निजी शिक्षा की बढ़ती लागत से निपटने के लिए सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता और संसाधनों को बेहतर बनाने की आवश्यकता भी बताई गई।

कानपुर देहात के अभिषेक कुमार और आलोक कुमार ने आईटी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और चैटजीपीटी जैसे टूल्स की बढ़ती प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 2022 के अंत में चैटजीपीटी की रिलीज के बाद से एआई शिक्षा, अनुसंधान, दवा निर्माण, आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यहां तक कि नासा भी अंतरिक्ष अनुसंधान में इसके उपयोग की संभावनाओं पर काम कर रहा है।

हालांकि एआई को लेकर लोगों में उत्साह है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस तकनीक पर पूर्ण विश्वास स्थापित होने में समय लगेगा। इसे और अधिक परीक्षण एवं विकास की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इसे सुरक्षित और उपयोगी रूप से लागू किया जा सके। अभियान से साफ है कि जनता विकास की राह में केवल दर्शक नहीं, बल्कि सक्रिय भागीदार बन रही है। शिक्षा, कौशल विकास और आधुनिक तकनीक को अपनाने की दिशा में लोगों के सुझाव सरकार की भविष्य की नीतियों का आधार बन सकते हैं।

–आईएएनएस

एसके/एएस

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