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आपने देखी उड़ने वाली टैक्‍सी, इस कंपनी को मिला लाइसेंस, मिनटों में पहुंचा देगी घर से दफ्तर

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आधुनिकता की इस दुनिया में परिवहन के तरीकों को आसान और तेज बनाने के लिए लगातार काम हो रहा है। इसी दिशा में एक बड़ा कदम है हवाई टैक्सी का विकास। जहां दुबई अगले साल तक एयर टैक्सी सेवा शुरू करने की तैयारी में है, वहीं चीन भी इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में चीन में बनी एक ऑटोमेटेड इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी (eVTOL) ने पहली बार अफ्रीका में उड़ान भरकर इतिहास रच दिया है।

यह ऐतिहासिक उड़ान रवांडा की राजधानी किगाली में हुई, जहां एविएशन अफ्रीका समिट एंड एग्जीबिशन का आयोजन किया गया था। इस बड़े इवेंट में 34 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, इस टेस्ट फ्लाइट का आयोजन रवांडा ने चीन की सरकारी कंपनी चाइना रोड एंड ब्रिज कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर किया था। यह उड़ान चीन की ईहांग होल्डिंग्स (EHang Holdings) द्वारा निर्मित एक बिना ड्राइवर वाली इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग व्हीकल (eVTOL) थी, जिसे खास तौर पर कम ऊंचाई पर उड़ने के लिए डिजाइन किया गया है।

रवांडा के लिए यह उड़ान बेहद खास है, क्योंकि रवांडा एक लैंडलॉक्ड कंट्री है और अपने शहरों में भीड़ और प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बेहतर हवाई परिवहन के तरीकों पर काम कर रहा है। रवांडा के फेसबुक पेज रवांडा हार्ट ऑफ अफ्रीका ने इस साझेदारी को “आधुनिक विमानन तकनीक को लागू करने में अफ्रीका में रवांडा की स्थिति को मजबूत करने” का एक जरिया बताया है।

चीन की बढ़ती उड़ान

चीन ने कम ऊंचाई पर उड़ने वाले एयरक्राफ्ट्स को एक महत्वपूर्ण और उभरती हुई इंडस्ट्री के रूप में पहचाना है। पिछले कुछ सालों में, इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से काफी सहायता दी गई है। एक रिसर्च ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल चीन के लो-ऑल्टीट्यूड मार्केट का अनुमानित मूल्य 1.5 ट्रिलियन युआन (लगभग ₹17 लाख करोड़) तक पहुंच सकता है।

चीन की यह तकनीक अब सिर्फ घरेलू बाजार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो रही है। जुलाई में एक थाई कंपनी ने 500 चीनी eVTOL खरीदने के लिए 1.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹14,500 करोड़) का सौदा किया था। इसी तरह, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के एक खरीदार ने शंघाई टीकैब टेक्नोलॉजी द्वारा बनाए गए 350 विमानों के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹8,300 करोड़) का सौदा किया था। यह दर्शाता है कि चीन न केवल इस तकनीक को विकसित कर रहा है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर भी व्यावसायिक रूप से सफल बना रहा है।

हवाई टैक्सी और ड्रोन जैसी संबंधित तकनीकों को व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल में लाने के लिए चीन लगातार आगे बढ़ रहा है। इससे न केवल परिवहन के क्षेत्र में क्रांति आएगी, बल्कि यह कई देशों के लिए एक नया व्यापारिक और तकनीकी अवसर भी पैदा करेगा। रवांडा में चीन की एयर टैक्सी का यह सफल परीक्षण, दुनिया के सामने एक नए युग की शुरुआत का संकेत है, जहां हवाई यात्रा सिर्फ अमीर लोगों या लंबी दूरी के लिए ही नहीं, बल्कि हर किसी के लिए, कम दूरी के लिए भी सुलभ हो सकती है।

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