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भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में हुई मजबूत वृद्धि : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 9 अक्तूबर (आईएएनएस)। मजबूत घरेलू मांग और इन्वेस्टर सेंटीमेंट से भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में तेजी से बढ़ा है। यह जानकारी एक सर्वेक्षण में दी गई।

इंडस्ट्री बॉडी फिक्की की ओर से जारी किए गए सर्वेक्षण में बताया गया कि जुलाई-सितंबर तिमाही में 87 प्रतिशत मैन्युफैक्चरर्स ने उच्च और स्थिर उत्पादन स्तरों को रिपोर्ट किया है।

सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 83 प्रतिशत कंपनियों ने बताया कि जीएसटी में कटौती के कारण आने वाले महीनों में मांग में इजाफा देखने को मिल सकता है और सेक्टर अपनी 75 प्रतिशत क्षमता पर कार्य कर रहा है, जो कि उत्पादन की स्थिरता को दिखाता है।

सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 50 प्रतिशत से अधिक कंपनियों ने बताया कि वे अगले छह महीनों में नए प्रोजेक्ट्स या नई क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

हालांकि, मैन्युफैक्चरर्स को अभी भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें उच्च इनपुट लागत, अस्थिर भूराजनीति, व्यापार बाधाएं और कुछ बाजारों में कुशल श्रमिकों की कमी शामिल है।

50 प्रतिशत से अधिक व्यवसायों ने पिछले वर्ष की तुलना में उत्पादन लागत में वृद्धि दर्ज की, जिसके मुख्य कारण मेटल, बल्क केमिकल, एनर्जी, लॉजिस्टिक्स और लेबर की बढ़ती कीमतें हैं।

सर्वेक्षण में बताया गया है कि 81 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि उनके पास कार्यशील पूंजी और दीर्घकालिक जरूरतों, दोनों के लिए बैंक लोन की पर्याप्त पहुंच है, जबकि मैन्युफैक्चरर्स के लिए एवरेज लोन रेट 8.9 प्रतिशत है।

सर्वेक्षण में बताया गया कि केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री निर्यात को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। साथ ही आउटलुक भी सकारात्मक बना हुआ है। 57 प्रतिशत मैन्युफैक्चरर्स की योजना आने वाली तिमाही में अधिक लोगों को नियुक्त करने की थी।

यह सर्वेक्षण में कैपिटल गुड्स, ऑटोमोबाइल, केमिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीन टूल्स, मेटल, टेक्सटाइल और अन्य सेक्टर के मैन्युफैक्चरर्स शामिल हैं।

–आईएएनएस

एबीएस/

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