बिहार की राजनीति में तीखे मोड़ आ गए हैं। राजनीतिक दलों ने विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकना शुरू कर दिया है। आराम में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय सुप्रीमो चिराग पासवान ने नव संकल्प सभा को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ही उनका परिवार है। बिहार की जनता जहां से भी मुझे चुनाव लड़ने के लिए कहेगी, मैं वहां से चुनाव लड़ूंगा। चिराग का यह कदम उनके पिता की राजनीति के बिल्कुल विपरीत है।
केंद्रीय राजनीति में सक्रिय थे रामविलास
रामविलास पासवान भारतीय राजनीति में बड़ा नाम थे। उन्हें मौसम विज्ञानी भी कहा जाता था। राजनीतिक हवा का रुख समझकर वह कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस से हाथ मिला लेते थे। उन्होंने अपना पूरा समय केंद्रीय राजनीति में बिताया लेकिन चिराग ने अपने पिता की राह छोड़कर नई राह पर चलने का मन बना लिया है। चिराग अपने पिता की गलतियों को दोहराना नहीं चाहते। उन्होंने खुद को केंद्रीय राजनीति तक सीमित रखने की बजाय बिहार की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने का फैसला किया है। रामविलास ने 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया
लोजपा प्रमुख रामविलास 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं। 1989 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वे वीपी सिंह मंत्रिमंडल में शामिल हुए। उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया। एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल की सरकारों में वे रेल मंत्री बने। फिर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वे संचार मंत्री और कोयला मंत्री बने। इसके बाद वे मनमोहन सिंह सरकार में शामिल हुए। 2014 में वे एक बार फिर भाजपा के साथ जुड़ गए। मोदी मंत्रिमंडल में उन्होंने उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का कार्यभार संभाला।
1969 में शुरू हुआ रामविलास का राजनीतिक सफर
रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर 1969 में शुरू हुआ। वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) के विधायक के तौर पर आरक्षित विधानसभा क्षेत्र से चुने गए। आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने हाजीपुर संसदीय सीट से रिकॉर्ड 4 लाख वोटों से जीत दर्ज की।
2005 में किंगमेकर बने
साल 2000 में रामविलास पासवान जनता दल से अलग हो गए। उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी बनाई। फरवरी 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में पासवान की पार्टी लोजपा ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उनकी पार्टी ने 29 सीटें जीतीं। वे बिहार की सत्ता में किंगमेकर बनकर उभरे। दरअसल, उस चुनाव में किसी भी पार्टी या गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। पासवान ने किसी को भी समर्थन देने से इनकार कर दिया। फिर दोबारा चुनाव हुए और बिहार में नीतीश सत्ता में आए।
नीतीश और अटल ने की मुख्यमंत्री बनने की पेशकश
2005 में चुनाव परिणाम आने के बाद पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने रामविलास से मुख्यमंत्री बनने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वे केंद्र की राजनीति करना चाहते हैं। लेकिन चिराग बिहार की राजनीति करना चाहते हैं। वे इस पर कई बार खुलकर अपनी राय रख चुके हैं। बिहार की राजनीति का मतलब राज्य की सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लेने की कोशिश होगी।