दिव्या देशमुख ने पूर्व विश्व चैंपियन झोंगयी टैन को हराकर FIDE महिला विश्व कप के फाइनल में जगह बना ली है। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला बन गई हैं। उन्होंने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट 2026 के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है।
दिव्या देशमुख द्वारा रचित इतिहास
19 वर्षीय भारतीय शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने फाइनल में चीन की झोंगयी टैन को हराकर शानदार वापसी की। नागपुर की दिव्या ने महिला विश्व कप के फाइनल में पहुँचकर इतिहास रच दिया और ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें ग्रैंडमास्टर नॉर्म भी दिलाया, जो खेल के सर्वोच्च खिताब की तलाश में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
जीत के बाद दिव्या देशमुख ने कहा, “मैं और बेहतर कर सकती थी”। विश्व कप सेमीफाइनल जीतने के बाद, दिव्या को एहसास हुआ कि वह और बेहतर खेल सकती थीं। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि मैं और बेहतर खेल सकती थी। एक समय मैं जीत रही थी, लेकिन फिर स्थिति मुश्किल हो गई। मुझे लगता है कि मैंने बीच के गेम में गलती की क्योंकि मुझे आसानी से जीतना चाहिए था।” दिव्या देशमुख, जिन्होंने टूर्नामेंट में पहले चीन की जोनर झू और हमवतन डी हरिका को हराया था, ने सेमीफाइनल में भी अपना दबदबा कायम रखा और अब खिताब से एक कदम दूर हैं। दूसरे सेमीफाइनल में कोनेरू हम्पी ने चीन की टिंगजी लेई से ड्रॉ खेला, अब शॉर्ट फॉर्मेट में दोनों के बीच टाईब्रेकर होगा।
2023 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब जीता
दिव्या का जन्म 9 दिसंबर 2005 को नागपुर के एक मराठी परिवार में हुआ था। उनके माता और पिता दोनों डॉक्टर हैं। उन्होंने 2021 में महिला ग्रैंडमास्टर और 2023 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब जीता। 2022 में, उन्होंने भारतीय शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीता। उन्होंने अल्माटी (2023) में आयोजित एशियाई महिला शतरंज चैंपियनशिप भी जीती। शिवम फरवरी 2025 से एबीपी की स्पोर्ट्स टीम से जुड़े हुए हैं। इससे पहले, शिवम ने इनसाइडस्पोर्ट में तीन साल तक सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम किया है। शिवम ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की है।