बिज़नेस न्यूज़ डेस्क – बजट 2025 की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। बजट बनाने की प्रक्रिया बेहद गोपनीय होती है। इसकी शुरुआत हलवा सेरेमनी से होती है। फिर बजट छपने की प्रक्रिया शुरू होती है। बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारी और सहयोगी कर्मचारी मंत्रालय में ‘कैद’ रहते हैं, ताकि कोई जानकारी लीक न हो सके। लेकिन, आजाद भारत के इतिहास में ऐसा दो बार हुआ है, जब बजट पेश होने से पहले ही उससे जुड़ी जानकारी लीक हो गई।
दो बार लीक हुआ बजट, दोनों वित्त मंत्रियों ने दिया इस्तीफा
आजाद भारत का पहला बजट वित्त वर्ष 1947-1948 के लिए पेश किया गया था। उस समय वित्त मंत्री आरके षणमुखम चेट्टी थे। जो ब्रिटिश समर्थित जस्टिस पार्टी से जुड़े थे। उस समय बजट पेश होने से पहले ही ब्रिटेन के वित्त मंत्री ह्यूग डाल्टन ने भारत के बजट में टैक्स से जुड़े बदलावों की जानकारी मीडिया को दे दी थी इसके बाद ब्रिटेन के वित्त मंत्री ह्यूग डाल्टन को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद का साल 1950 था। तब जॉन मथाई भारत के वित्त मंत्री थे। देश का बजट पेश किया जाना था। सारी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थीं। तभी बजट लीक होने की खबर आई। इस गलती की वजह से जॉन मथाई को इस्तीफा देना पड़ा।
बदलनी पड़ी छपाई की जगह
जब जॉन मथाई संसद पहुंचे तो विपक्षी दलों के नेताओं ने वहां खूब हंगामा किया। वित्त मंत्री से इस्तीफे की मांग की जाने लगी। इस हंगामे के बाद वित्त मंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। आजादी के बाद 3 में से 2 बजट लीक हुए। इसकी वजह से इसकी गोपनीयता पर सवाल उठने लगे। चर्चा होने लगी कि राष्ट्रपति भवन में जहां बजट छपता है, वहां से जानकारी लीक हो रही है। ऐसे में छपाई की जगह बदलने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। और इससे बजट छपने की परंपरा ही बदल गई। इस घटना के बाद बजट की छपाई नई दिल्ली के मिंटो रोड पर शिफ्ट करनी पड़ी। इसके बाद 1980 में एक बार फिर छपाई की जगह बदली गई और नॉर्थ ब्लॉक (वित्त मंत्रालय) के बेसमेंट में बजट छपने लगा।
कब शुरू हुई हलवा सेरेमनी?
1951 में जब बजट लीक होने के बाद छपाई को मिंटो रोड पर शिफ्ट किया गया तो कर्मचारियों से मंत्रालय के अंदर ही रहकर बजट तैयार करने को कहा गया। इससे ठीक पहले एक परंपरा शुरू हुई। अफसरों को बंद करने से पहले हलवा बनाने की रस्म होती थी। फिर अफसर बजट तैयार करने के लिए 9-10 दिनों के लिए सभी से अलग हो जाते थे। हलवा सेरेमनी के बाद बजट छपने की प्रक्रिया शुरू होती है। इसमें शामिल सभी अफसरों और सहयोगी कर्मचारियों को मंत्रालय में बंद कर दिया जाता है। इस दौरान अफसरों को फोन का इस्तेमाल करने की भी इजाजत नहीं होती। बजट पेश होने तक वे अपने परिवार से भी नहीं मिल सकते। 74 सालों से चली आ रही इस परंपरा का आज भी पालन किया जाता है।
कैसे बनता है बजट?
बजट बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी होती है। वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के अलावा अन्य मंत्रालय भी इसमें शामिल होते हैं। आर्थिक मामलों के विभाग का बजट प्रभाग राज्यों, मंत्रालयों, केंद्र शासित प्रदेशों, रक्षा बलों और विभागों से आगामी बजट का अनुमान मांगता है। वित्त मंत्रालय से सलाह-मशविरा के बाद कर प्रस्ताव तय किया जाता है। प्रधानमंत्री की मंजूरी के बाद बजट छपने के लिए तैयार होता है।