बिज़नेस न्यूज़ डेस्क – पिछले कुछ सालों की तरह इस बार भी केंद्रीय बजट 2025 में सरकार का फोकस आयकर नियमों को सरल बनाने पर हो सकता है। सरकार आयकर अधिनियम में धीरे-धीरे बदलाव करना चाहती है। सरकार पहले ही कैपिटल गेन टैक्स और विदहोल्डिंग टैक्स के नियमों में बड़े बदलाव कर चुकी है। सरकार ने बिना कटौती वाली नई आयकर व्यवस्था भी शुरू की है। 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में करदाता आयकर नियमों में ऐसे बदलावों की उम्मीद कर सकते हैं, जिससे पुरानी व्यवस्था में उनकी दिलचस्पी कम हो सकती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नई कर व्यवस्था में टैक्स स्लैब/दरों में बदलाव कर सकती हैं। वह पुरानी व्यवस्था को यथावत रख सकती हैं। इसे खत्म करने का फैसला भी ले सकती हैं। तीसरी संपत्ति पर नोशनल रेंट के आधार पर टैक्स लगाने के मौजूदा नियम को खत्म किया जा सकता है, क्योंकि संपत्ति कर पहले से ही लागू है। इसके अलावा नोशनल रेंट तय करने का कोई मानक नहीं है और यह काफी जटिल प्रक्रिया है। इसलिए सरकार करदाता पर अतिरिक्त टैक्स के इस बोझ को खत्म कर सकती है।
टैक्स नियमों में जटिलता के कारण करदाताओं का समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है। उन्हें कई तरह की कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है। उन्हें टैक्स के जटिल प्रावधानों को समझना पड़ता है। कुछ मामलों में तो टैक्स कंसल्टेंट की सेवाएं भी लेनी पड़ती हैं। वर्तमान में आयकर अधिकारियों पर काम का बहुत बोझ है। उन्हें करदाताओं के दावों और टैक्स फाइलिंग का सत्यापन करना होता है। उन्हें असेसमेंट, डिमांड, रिफंड आदि का हिसाब रखना होता है। अनुपालन की यह प्रक्रिया बहुत महंगी साबित होती है, क्योंकि इसके मुकाबले टैक्स कलेक्शन कम होता है।
सरकार एनआरआई के लिए टैक्स नियमों को भी सरल बना सकती है। वर्तमान में अगर मकान मालिक एनआरआई है तो किराएदार को टैन लेना पड़ता है। अलग से फॉर्म भरना पड़ता है। अलग से लॉगइन बनाना पड़ता है। अगर मकान मालिक एनआरआई नहीं है तो किराएदार सीधे अपने ई-फाइलिंग अकाउंट से विदहोल्डिंग टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकता है और ऑनलाइन टैक्स का भुगतान कर सकता है। इसी तरह सरकार भारत में आधार नहीं रखने वाले गैर-निवासियों और विदेश में रहने वालों के लिए 30 दिन के आईटीआर-वी सत्यापन की जरूरत को खत्म कर सकती है।
यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगस्त में कई देशों में गर्मी की छुट्टियां होती हैं। आयकर नियमों को सरल बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ाया जा सकता है। जब से सरकार ने आयकर प्रक्रियाओं में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया है, तब से यह काफी आसान हो गया है। AIS, TIS ने इसमें काफी मदद की है। सरकार केंद्रीय बजट में आयकर प्रक्रियाओं में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ाने की घोषणा कर सकती है।