बिज़नेस न्यूज़ डेस्क – भारत के वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश होने में अब पांच दिन बचे हैं। केंद्र सरकार 1 फरवरी को बजट पेश करेगी। बजट में प्रत्यक्ष कर की घोषणा की जाती है। सरकार सेक्टर के हिसाब से आवंटन करती है। देश के हर सेक्टर और खंड की निगाह इस बजट पर है। बजट न केवल उत्पाद की कीमतों को प्रभावित करता है, बल्कि सेवा उद्योग के लिए भी कीमतें तय करने का काम करता है। देश के हर वर्ग को उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट में महंगाई, रोजगार और आर्थिक विकास जैसे अहम मुद्दों पर ध्यान देंगी। पिछले साल के बजट में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और स्थिरता पर काफी ध्यान दिया गया था। इस बार सरकार रेलवे, विमानन, स्वास्थ्य सेवा, आतिथ्य, डेटा सेंटर और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों को लेकर आवंटन या घोषणा कर सकती है।
पेट्रोल और डीजल
पिछले साल सरकार ने ऊर्जा बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को 1.19 ट्रिलियन रुपये का बजट दिया था। हालांकि, पेट्रोलियम सब्सिडी कम कर दी गई थी। इस बार भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने की मांग की है। अगर यह सिफारिश मान ली जाती है तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आ सकती है, जिससे परिवहन और लॉजिस्टिक्स की लागत कम होगी। ऐसा होने पर उत्पादों की लागत भी कम होगी।
हेल्थकेयर सेक्टर के लिए किया गया ऐलान
फार्मास्युटिकल सेक्टर में बदलाव की उम्मीद है। बायोकॉन जैसी कंपनियों ने सरकार से कैंसर और दुर्लभ बीमारियों की दवाओं पर टैक्स माफ करने की मांग की है। अगर इस पर अमल होता है तो गंभीर बीमारियों का इलाज सस्ता और आसानी से उपलब्ध हो सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल सेक्टर के लिए किया गया ऐलान
पिछले साल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए 15,500 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था, जिसमें सेमीकंडक्टर और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस किया गया था। इस बार भी सरकार इस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा सकती है, जिससे स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक सामान की कीमतों में कमी आ सकती है। वित्तीय सहायता और टैरिफ में कटौती से टेक्सटाइल और गारमेंट इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे न सिर्फ वैश्विक बाजार में भारतीय कपड़ों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी, बल्कि घरेलू कीमतों में भी कमी आएगी।
मध्यम वर्ग को आयकर में मिल सकती है राहत
मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए सरकार आयकर स्लैब में बदलाव कर सकती है। उम्मीद है कि सेक्शन 80सी की सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये की जा सकती है। इससे करदाताओं को ज्यादा बचत करने का मौका मिलेगा।
रेलवे और इंफ्रास्ट्रक्चर
इस बार इंफ्रास्ट्रक्चर में रेलवे पर खास ध्यान दिया जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार सड़क परिवहन से ज्यादा रेलवे के आधुनिकीकरण पर फोकस कर सकती है। इससे लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को फायदा होगा।