बिज़नेस न्यूज़ डेस्क – समाज के हर वर्ग की निगाहें केंद्रीय बजट 2025 पर टिकी हैं। खास तौर पर वेतनभोगियों के लिए मानक कटौती के नियमों में बदलाव की मांग जोर पकड़ रही है। फिलहाल पुरानी कर व्यवस्था में यह सीमा ₹50,000 और नई कर व्यवस्था में ₹75,000 है। करदाताओं, चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) और विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन की लागत को देखते हुए इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है।
क्या है मानक कटौती?
मानक कटौती वह रकम है जो करदाताओं की कुल आय से अपने आप कट जाती है, जिससे उनकी कर योग्य आय कम हो जाती है। यह लाभ वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों को मिलता है। इसका उद्देश्य महंगाई के असर को कम करना और करदाताओं को राहत पहुंचाना है।
क्या किए जा सकते हैं बदलाव?
पुरानी कर व्यवस्था: विशेषज्ञ और सीए सुझाव देते हैं कि मानक कटौती की सीमा ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 की जानी चाहिए।
नई कर व्यवस्था: इस कर व्यवस्था का पालन करने वालों के लिए यह सीमा ₹75,000 है, इसे बढ़ाकर ₹1,25,000 करने का प्रस्ताव है।
सीमा एक जैसी होनी चाहिए
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार नई कर व्यवस्था को और अधिक तर्कसंगत बनाना चाहती है और करदाताओं से पुरानी कर व्यवस्था से नई कर व्यवस्था में जाने का आग्रह कर रही है। लेकिन, जब तक नई कर व्यवस्था को कर छूट के दृष्टिकोण से अधिक आकर्षक नहीं बनाया जाता, तब तक दोनों कर व्यवस्थाओं में मानक कटौती सीमा एक समान होनी चाहिए।
करदाताओं को कितना लाभ होगा?
यदि पुरानी कर व्यवस्था में सीमा ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 कर दी जाती है, तो 30% कर स्लैब वाले करदाताओं को ₹15,000 तक की सीधी बचत हो सकती है। वहीं, अगर नई कर व्यवस्था में सीमा ₹75,000 से बढ़ाकर ₹1,25,000 की जाती है, तो 20% टैक्स स्लैब वाले करदाताओं को ₹10,000 तक का फायदा होगा। कुल मिलाकर, करदाताओं के हाथ में ज़्यादा पैसा होगा, जिसे वे निवेश या खर्च कर सकते हैं।
सरकार के लिए यह क्यों ज़रूरी है?
स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाने से मध्यम वर्गीय परिवारों को आर्थिक मजबूती मिलेगी। बचत बढ़ने से लोग ज़्यादा खर्च करेंगे, जिसका फ़ायदा बाज़ार और अर्थव्यवस्था को होगा। सरकार नई कर व्यवस्था को और ज़्यादा लोकप्रिय बनाने के लिए इसमें सुधार कर सकती है। स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी से न सिर्फ़ करदाताओं को राहत मिलेगी, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। बजट 2025 में सरकार से इन बदलावों की उम्मीद करना वाजिब है।