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Budget 2025 में निर्मला सीतारमण के ये एलान खुशियों से भर देंगे मध्यम वर्ग की जिंदगी, जानिए कैसे लोगों को होगा फायदा

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बिज़नेस न्यूज़ डेस्क –केंद्रीय बजट 2025 को लेकर मध्यम वर्ग के करदाता काफी उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को उन्हें टैक्स में राहत देंगी। फिलहाल 10-15 लाख से ज्यादा सालाना आय वाले लोगों को काफी टैक्स देना पड़ता है। आयकर की पुरानी व्यवस्था में सालाना 10 लाख रुपये से ज्यादा की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है। आयकर की नई व्यवस्था में सालाना 15 लाख रुपये से ज्यादा की आय वाले लोगों को 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता है।

टैक्स ब्रैकेट बढ़ाने से होगा फायदा
बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी का मानना ​​है कि सरकार की तीन घोषणाओं से मध्यम वर्ग के करदाताओं का जीवन आसान हो सकता है। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को नई टैक्स व्यवस्था में 15 लाख रुपये तक की आय ब्रैकेट की सीमा बढ़ाकर 18 लाख रुपये करने की सलाह दी है। फिलहाल 12 से 15 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। अगर इस टैक्स ब्रैकेट की सीमा 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 18 लाख रुपये कर दी जाती है तो 18 लाख रुपये तक की सालाना आय पर टैक्स घटकर 20 फीसदी रह जाएगा। अभी 15 लाख रुपये से ज्यादा सालाना आय वालों को 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता है।

आयकर से छूट की सीमा बढ़ानी होगी
उन्होंने सरकार से 10 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स-फ्री करने की मांग की है। पिछले कुछ सालों में जिस तरह से महंगाई बढ़ी है, खासकर खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़े हैं, ऐसे में 10 लाख रुपये सालाना आय अब ज्यादा नहीं रह गई है। अगर सरकार 10 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स-फ्री कर दे तो बड़ी संख्या में लोगों को इससे राहत मिलेगी। अभी आयकर की पुरानी व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। नई व्यवस्था में 3 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स से छूट दी गई है।

30% फ्लैट डिडक्शन से बढ़ेगी बचत
शेट्टी ने सरकार को एक समान 30% डिडक्शन देने की सलाह दी है। उनका तर्क है कि नई आयकर व्यवस्था में डिडक्शन न होने से लोगों की बचत पर असर पड़ा है। लोग जीवन बीमा उत्पादों में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। ELSS जैसे टैक्स सेविंग उत्पादों में निवेश में भी गिरावट देखी जा रही है। पुरानी आयकर व्यवस्था में सेक्शन 80C के तहत करीब एक दर्जन निवेश उत्पादों में निवेश पर डिडक्शन मिलता है। इनमें जीवन बीमा पॉलिसियां ​​और ELSS शामिल हैं। लेकिन, नई व्यवस्था में यह डिडक्शन नहीं मिलता।

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