चीन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी डीपसीक के एआई चैटबॉट ने दुनियाभर के टेक्नोलॉजी समुदाय को चौंका दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अमेरिकी कंपनियों के लिए चेतावनी बताया है। तीन साल पहले भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का वैश्विक केंद्र बनाने की घोषणा करने वाली केंद्र सरकार ने इस संबंध में आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है।
” style=”border: 0px; overflow: hidden”” title=”Deep Seek Ai क्या है, किसने बनाया, इससे बाजार कैसे क्रेश हुआ, चीन का बड़ा प्लान, मॉडल्स, कॉस्ट, उपयोग” width=”695″>
भारत को कोई खतरा नहीं
लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने इस बात को खारिज कर दिया है कि डीपसीक से भारत को कोई खतरा है या भारत से चीन को संवेदनशील डेटा भेजे जाने का कोई खतरा है। उक्त सूत्र के मुताबिक एआई में प्रतिस्पर्धा का दौर अभी शुरू ही हुआ है और यह नहीं कहा जा सकता कि भारत इसमें पीछे है। बहुत संभव है कि एआई पर काम करने वाली कोई भारत स्थित स्टार्टअप या कंपनी डीपसीक से बेहतर और किफायती ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म लॉन्च कर दे।
एआई की दौड़ में भारत
बहुत संभव है कि गुरुवार को भारत सरकार डीपसीक के असर और भारत की तैयारियों को लेकर कोई आधिकारिक बयान दे। यह पूछे जाने पर कि क्या एआई की दौड़ में भारत पीछे रह गया है, सूत्र ने जवाब दिया कि ऐसा नहीं कहा जा सकता। तकनीक के जिस क्षेत्र में यह प्रगति हो रही है, उसमें भारत की ताकत को कम नहीं आंकना चाहिए। डीपसीक का डेवलपर भी एक स्टार्टअप है और भारत में ऐसे 7000 स्टार्टअप काम कर रहे हैं।
भारतीय स्टार्टअप की दुनिया में चर्चा
AI के अलावा मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन जैसी नई तकनीकों के क्षेत्र में भारतीय स्टार्टअप को लेकर पूरी दुनिया उत्सुक है। हाल ही में दावोस (स्विट्जरलैंड) में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की बैठक में भारत को अमेरिका और चीन के साथ दुनिया के तीन सबसे बड़े तकनीक केंद्रों में से एक के रूप में पहचाना गया है। सूत्र ने इस बात से पूरी तरह इनकार किया कि डीपसीक एक चीनी कंपनी होने के कारण भारत के लिए खतरा है।
संभावनाओं के खुले द्वार
सरकारी सूत्रों के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी भारतीय कंपनियों ने भी डीपसीक का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इसने दुनिया भर में AI पर काम करने वाली कंपनियों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं। भारत की प्रमुख AI कंपनी Ginani.ai.com के सीईओ गणेश गोपालन कहते हैं, “DeepSeek का लॉन्च होना एक बहुत ही उत्साहजनक कदम है।
खास तौर पर जिस तरह से इसने लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) आधारित व्यावसायिक ढांचे को हिलाकर रख दिया है। यह कल्पना से परे है कि 5 मिलियन डॉलर से कम की लागत में LLM आधारित सेवा लॉन्च की जा सकती है और वह भी इतनी उच्च दक्षता के साथ। अब भारत समेत दुनिया की हर AI कंपनी इसे दोहराने की कोशिश करेगी। ऐसा लगता है कि अब किसी भी कंपनी के लिए LLM प्लेटफॉर्म लॉन्च करना आसान हो गया है। OpenAI (अमेरिकी कंपनी) ने जिस कीमत पर ऐसा ही प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, उसकी तुलना में इसकी बहुत कम लागत बहुत मायने रखती है।