देश के लाखों पेंशनधारकों की निगाहें इस समय एक ही सवाल पर टिकी हैं — क्या EPS-95 के तहत मिलने वाली मिनिमम पेंशन में इस बार त्योहारों के मौके पर बढ़ोतरी होगी? फिलहाल इस योजना के तहत पेंशनधारकों को हर महीने केवल ₹1000 की न्यूनतम पेंशन मिलती है, जो आज के समय में बेहद कम मानी जाती है। ट्रेड यूनियनों, पेंशनर्स संगठनों और कई सांसदों ने इसे बढ़ाने की जोरदार मांग की है। सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया जरूर दी है, लेकिन अब तक किसी ठोस फैसले की घोषणा नहीं हुई है।
EPS-95 क्या है?
Employees’ Pension Scheme (EPS-95) एक सोशल सिक्योरिटी स्कीम है, जिसे 1995 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद हर महीने पेंशन देना है। यह योजना EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) द्वारा संचालित की जाती है और EPF योजना का ही हिस्सा है। जहां EPF के तहत कर्मचारी को सेवा समाप्ति के बाद एकमुश्त रकम मिलती है, वहीं EPS के तहत महीने-दर-महीने तय पेंशन दी जाती है।
इस पेंशन की गणना कर्मचारी की आखिरी सैलरी और सेवाकाल (Service Years) के आधार पर होती है। हालांकि, इस स्कीम में मिलने वाली न्यूनतम पेंशन ₹1000 प्रति महीना है, जो पेंशनर्स के लिए पर्याप्त नहीं मानी जाती।
सरकार पर दबाव: सांसदों और यूनियनों की मांग
हाल ही में राज्यसभा में सांसद वाइको और एम. शन्मुगम ने EPS-95 की पेंशन बढ़ाने को लेकर सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि इतने वर्षों से लगातार मांग और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद पेंशन बढ़ाने पर फैसला क्यों नहीं हो पा रहा है? जब EPS फंड में पर्याप्त राशि है, तो फिर पेंशन बढ़ाने में अड़चन क्या है? और क्या त्योहारों के सीजन को देखते हुए सरकार इस दिशा में कोई राहत देने जा रही है?
सरकार का जवाब: फैसला अभी बाकी
लोकसभा में दिए गए जवाब में सरकार ने यह स्वीकार किया कि उसे ट्रेड यूनियनों, पेंशनधारकों और जनप्रतिनिधियों से EPS-95 की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की कई मांगें प्राप्त हुई हैं। लेकिन इसके साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि EPS-95 एक Defined Contribution-Defined Benefit स्कीम है, यानी इसमें जितना योगदान होता है, लाभ भी उसी के अनुसार तय होता है।
सरकार के अनुसार:
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नियोक्ता (Employer) कर्मचारी की सैलरी का 8.33% EPS फंड में देता है।
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केंद्र सरकार भी 1.16% का योगदान देती है (सिर्फ 15,000 रुपए तक की सैलरी वाले कर्मचारियों के लिए)।
2019 में फंड का जो मूल्यांकन (Valuation) किया गया था, उसमें यह सामने आया कि EPS फंड में Actuarial Deficit यानी अनुमान से कम फंडिंग की स्थिति है। इसके बावजूद सरकार न्यूनतम ₹1000 की पेंशन सुनिश्चित करने के लिए हर साल बजट से अलग फंड देती है।
क्या त्योहारों पर मिलेगा कोई तोहफा?
पेंशनधारकों की सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि रक्षाबंधन, स्वतंत्रता दिवस और गणेश चतुर्थी जैसे बड़े त्योहारों के बीच सरकार उन्हें राहत देगी। हालांकि, सरकार ने इस पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है। लोकसभा में कहा गया कि सरकार मौजूदा पेंशन व्यवस्था को बनाए रखने और न्यूनतम ₹1000 की गारंटी देने के लिए बजट सहायता देती रहेगी।
इसका सीधा अर्थ यह है कि फिलहाल मिनिमम पेंशन बढ़ाने को लेकर कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। पेंशनर्स को अब भी इस पर अंतिम निर्णय का इंतजार करना होगा।
पेंशनर्स की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी
देश में EPS-95 के तहत लाखों पेंशनधारक हैं, जिनमें से अधिकतर बुजुर्ग, विधवा या असहाय हैं। ₹1000 की मासिक पेंशन आज के बढ़ती महंगाई और चिकित्सा खर्चों के बीच न्यूनतम जीवन यापन के लिए भी पर्याप्त नहीं है। कई राज्यों और संगठनों ने सरकार से इसे कम से कम ₹3000–₹5000 प्रति महीना करने की मांग की है।
सरकार ने जरूर इस योजना में सुधार के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करने की बात कही है, लेकिन कोई अंतिम निर्णय या समयसीमा नहीं बताई गई है।
देश के लाखों पेंशनधारकों की निगाहें इस समय एक ही सवाल पर टिकी हैं — क्या EPS-95 के तहत मिलने वाली मिनिमम पेंशन में इस बार त्योहारों के मौके पर बढ़ोतरी होगी? फिलहाल इस योजना के तहत पेंशनधारकों को हर महीने केवल ₹1000 की न्यूनतम पेंशन मिलती है, जो आज के समय में बेहद कम मानी जाती है। ट्रेड यूनियनों, पेंशनर्स संगठनों और कई सांसदों ने इसे बढ़ाने की जोरदार मांग की है। सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया जरूर दी है, लेकिन अब तक किसी ठोस फैसले की घोषणा नहीं हुई है।
EPS-95 क्या है?
Employees’ Pension Scheme (EPS-95) एक सोशल सिक्योरिटी स्कीम है, जिसे 1995 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद हर महीने पेंशन देना है। यह योजना EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) द्वारा संचालित की जाती है और EPF योजना का ही हिस्सा है। जहां EPF के तहत कर्मचारी को सेवा समाप्ति के बाद एकमुश्त रकम मिलती है, वहीं EPS के तहत महीने-दर-महीने तय पेंशन दी जाती है।
इस पेंशन की गणना कर्मचारी की आखिरी सैलरी और सेवाकाल (Service Years) के आधार पर होती है। हालांकि, इस स्कीम में मिलने वाली न्यूनतम पेंशन ₹1000 प्रति महीना है, जो पेंशनर्स के लिए पर्याप्त नहीं मानी जाती।
सरकार पर दबाव: सांसदों और यूनियनों की मांग
हाल ही में राज्यसभा में सांसद वाइको और एम. शन्मुगम ने EPS-95 की पेंशन बढ़ाने को लेकर सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि इतने वर्षों से लगातार मांग और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद पेंशन बढ़ाने पर फैसला क्यों नहीं हो पा रहा है? जब EPS फंड में पर्याप्त राशि है, तो फिर पेंशन बढ़ाने में अड़चन क्या है? और क्या त्योहारों के सीजन को देखते हुए सरकार इस दिशा में कोई राहत देने जा रही है?
सरकार का जवाब: फैसला अभी बाकी
लोकसभा में दिए गए जवाब में सरकार ने यह स्वीकार किया कि उसे ट्रेड यूनियनों, पेंशनधारकों और जनप्रतिनिधियों से EPS-95 की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की कई मांगें प्राप्त हुई हैं। लेकिन इसके साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि EPS-95 एक Defined Contribution-Defined Benefit स्कीम है, यानी इसमें जितना योगदान होता है, लाभ भी उसी के अनुसार तय होता है।
सरकार के अनुसार:
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नियोक्ता (Employer) कर्मचारी की सैलरी का 8.33% EPS फंड में देता है।
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केंद्र सरकार भी 1.16% का योगदान देती है (सिर्फ 15,000 रुपए तक की सैलरी वाले कर्मचारियों के लिए)।
2019 में फंड का जो मूल्यांकन (Valuation) किया गया था, उसमें यह सामने आया कि EPS फंड में Actuarial Deficit यानी अनुमान से कम फंडिंग की स्थिति है। इसके बावजूद सरकार न्यूनतम ₹1000 की पेंशन सुनिश्चित करने के लिए हर साल बजट से अलग फंड देती है।
क्या त्योहारों पर मिलेगा कोई तोहफा?
पेंशनधारकों की सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि रक्षाबंधन, स्वतंत्रता दिवस और गणेश चतुर्थी जैसे बड़े त्योहारों के बीच सरकार उन्हें राहत देगी। हालांकि, सरकार ने इस पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है। लोकसभा में कहा गया कि सरकार मौजूदा पेंशन व्यवस्था को बनाए रखने और न्यूनतम ₹1000 की गारंटी देने के लिए बजट सहायता देती रहेगी।
इसका सीधा अर्थ यह है कि फिलहाल मिनिमम पेंशन बढ़ाने को लेकर कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। पेंशनर्स को अब भी इस पर अंतिम निर्णय का इंतजार करना होगा।
पेंशनर्स की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी
देश में EPS-95 के तहत लाखों पेंशनधारक हैं, जिनमें से अधिकतर बुजुर्ग, विधवा या असहाय हैं। ₹1000 की मासिक पेंशन आज के बढ़ती महंगाई और चिकित्सा खर्चों के बीच न्यूनतम जीवन यापन के लिए भी पर्याप्त नहीं है। कई राज्यों और संगठनों ने सरकार से इसे कम से कम ₹3000–₹5000 प्रति महीना करने की मांग की है।
सरकार ने जरूर इस योजना में सुधार के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करने की बात कही है, लेकिन कोई अंतिम निर्णय या समयसीमा नहीं बताई गई है।