मनोरंजन न्यूज़ डेस्क – गीता बाली बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्रियों में से एक थीं। उन्होंने अपनी शानदार एक्टिंग और खूबसूरती से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई थी। लेकिन, गीता बेहद कम उम्र में ही इस दुनिया को छोड़कर चली गईं। वक्त ने बेरहमी से आज ही के दिन 1965 में गीता बाली को हमसे छीन लिया। चेचक की बीमारी एक्ट्रेस के लिए जानलेवा बन गई और उनकी मौत हो गई। 1930 में बंटवारे से पहले पंजाब में पाकिस्तान के सरगोधा शहर में जन्मी गीता बाली ‘बदनामी’, ‘बावरे नैन’, ‘आनंद मठ’ और ‘जब से तुम्हें देखा है’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। फिल्मों से अलग निजी जिंदगी की बात करें तो गीता बाली कपूर खानदान की बहू बनीं। उन्होंने अपने से छोटे शम्मी कपूर से शादी की। शम्मी कपूर और गीता बाली की प्रेम कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही दिलचस्प उनकी शादी की कहानी भी है। आइए जानते हैं…
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गीता बाली उन दिनों हिंदी सिनेमा में खुद को स्थापित कर चुकी थीं, जबकि शम्मी कपूर कपूर खानदान से ताल्लुक रखने के बावजूद संघर्ष के दौर से गुजर रहे थे। गीता बाली की सिफारिश पर ही शम्मी कपूर को यह फिल्म मिली थी। यहीं से उनकी प्रेम कहानी शुरू हुई। आउटडोर शूटिंग के लिए रानीखेत गई ‘रंगीन रातें’ की टीम और निर्देशक केदार शर्मा की पैनी नजरों के बीच शुरू हुआ मुलाकातों का सिलसिला टीम के मुंबई लौटने तक पूरे शबाब पर पहुंच चुका था। मुंबई पहुंचकर दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था। लेकिन, यह राह इतनी आसान नहीं थी।
भले ही शम्मी कपूर ने गीता बाली के साथ जीने-मरने की कसमें खा ली थीं, लेकिन वह यह भी जानते थे कि परिवार से रजामंदी मिलना आसान नहीं है। शम्मी कपूर गीता बाली से उम्र में छोटे थे और दूसरा यह कि उस समय तक उनका करियर भी ज्यादा परवान नहीं चढ़ा था। इसके अलावा गीता ‘बावरे नैन’ में शम्मी के बड़े भाई राज कपूर और ‘आनंदमठ’ में पिता पृथ्वीराज कपूर की हीरोइन भी रह चुकी थीं। शम्मी कपूर अजीब दुविधा में थे, तब उनके करीबी दोस्त जॉनी वॉकर ने उन्हें गीता बाली से भागकर शादी करने की सलाह दी। शम्मी कपूर को जॉनी वॉकर का सुझाव पसंद आया। हालांकि गीता बाली को जॉनी वॉकर का सुझाव पसंद नहीं आया, लेकिन शम्मी कपूर की जिद के आगे वह कुछ नहीं कर सकती थीं। खैर, वह मान गईं।
23 अगस्त 1955 की आधी रात को शम्मी कपूर, जॉनी वॉकर और हरिवलिया गीता से शादी करने के लिए मुंबई के वाणगंगा मंदिर पहुंचे। जब शम्मी कपूर मंदिर पहुंचे तो मंदिर के कपाट बंद थे। इसलिए पुजारी ने उनकी शादी कराने से मना कर दिया। शम्मी की जिद और हालात को देखते हुए पुजारी ने उन्हें सुबह आने की सलाह दी और भरोसा दिलाया कि मंदिर के कपाट खुलते ही शादी करा दी जाएगी। शम्मी सुबह चार बजे मंदिर के सामने मौजूद थे। सारी रस्में पूरी होने के बाद जब पुजारी ने उनसे दुल्हन की बिछौने में सिंदूर भरने को कहा तो उन्हें एहसास हुआ कि जल्दबाजी में वह सिंदूर लाना भूल गए हैं।
तब गीता बाली ने अपनी लिपस्टिक शम्मी को थमा दी। इस तरह सिंदूर की जगह लिपस्टिक लगाकर शम्मी कपूर ने गीता को अपना बना लिया। गीता और शम्मी ज्यादा समय तक साथ नहीं रह सके। गीता बाली की मृत्यु 1965 में चेचक के कारण हुई। दोनों के दो बच्चे हैं- आदित्य राज कपूर और कंचन।