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Income Tax Return 2025 : ITR फाइल करते समय कैसे बदलें अपना टैक्स रिजीम, ये है तरीका

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आपने पहले अपने एंप्लॉयर को पुरानी टैक्स रिजीम के आधार पर टीडीएस (TDS) काटने के लिए कहा था और अब आपको लगता है कि नई टैक्स रिजीम आपके लिए ज्यादा फायदेमंद है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। मौजूदा आयकर नियमों के तहत आपको इस गलती को सुधारने का पूरा अवसर मिलता है। आज हम आपको इस खबर के माध्यम से बताएंगे कि आप कैसे आसानी से अपना टैक्स रिजीम बदल सकते हैं और सही विकल्प चुन सकते हैं।

मौजूदा नियम क्या कहते हैं?

मौजूदा आयकर कानून के मुताबिक, वेतनभोगी कर्मचारियों को अपने आयकर रिटर्न (ITR) भरते समय अपनी टैक्स रिजीम बदलने की अनुमति दी जाती है। इसका मतलब यह है कि भले ही आपने अपने एंप्लॉयर को टीडीएस काटते समय पुरानी टैक्स व्यवस्था अपनाने के लिए कहा हो, लेकिन जब आप अपना आईटीआर भरते हैं तो आप नई टैक्स रिजीम का चयन कर सकते हैं।

अगर आपने अपने एंप्लॉयर को कोई विकल्प नहीं दिया है, तो डिफॉल्ट रूप से आपको नई टैक्स रिजीम में माना जाएगा। यह नियम खासकर उन लोगों के लिए राहत देने वाला है जो साल के अंत में अपनी टैक्स देनदारी का आकलन करने के बाद नई व्यवस्था को बेहतर पाते हैं।

धारा 115BAC क्या है?

आयकर अधिनियम की धारा 115BAC के तहत वर्ष 2020 से एक वैकल्पिक नई टैक्स रिजीम पेश की गई है। इस नई व्यवस्था में कम टैक्स दरों की सुविधा दी जाती है, लेकिन इसके बदले में अधिकांश टैक्स छूट और कटौती जैसे कि धारा 80C (एलआईसी प्रीमियम, पीपीएफ निवेश), एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस) और एलटीए (लीव ट्रैवल अलाउंस) को खत्म कर दिया गया है।

इसलिए, नई टैक्स व्यवस्था चुनने से पहले व्यक्ति को यह सावधानीपूर्वक गणना करनी चाहिए कि कौन सा विकल्प उसके लिए ज्यादा फायदेमंद रहेगा। कई मामलों में नई टैक्स रिजीम कम टैक्स दरों की वजह से फायदेमंद साबित होती है, खासकर उन लोगों के लिए जो बहुत ज्यादा टैक्स सेविंग्स निवेश नहीं करते हैं।

कब और कैसे बदल सकते हैं टैक्स रिजीम?

अगर आप समय से अपना आईटीआर फाइल करते हैं, यानी तय तारीख या उससे पहले, तो आप टैक्स फाइल करते समय अपनी पसंद के अनुसार पुरानी या नई टैक्स व्यवस्था का चयन कर सकते हैं। लेकिन ध्यान दें, अगर आप तय समयसीमा से चूक जाते हैं और विलंबित (Belated) रिटर्न दाखिल करते हैं, तो फिर आयकर विभाग आपको केवल नई टैक्स रिजीम के तहत ही रिटर्न फाइल करने देगा। उस स्थिति में पुरानी टैक्स रिजीम को चुनने का विकल्प नहीं रहेगा।

इसलिए समय पर सही चुनाव करना बेहद जरूरी हो जाता है।

आईटीआर दाखिल करने की महत्वपूर्ण तारीखें

  • 31 जुलाई: अधिकांश वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि है।

  • 31 अक्टूबर: जिन कारोबारियों और पेशेवरों का ऑडिट अनिवार्य है, उनके लिए अंतिम तिथि।

  • 30 नवंबर: ट्रांसफर प्राइसिंग नियमों के तहत संस्थानों के लिए अंतिम तिथि।

  • 31 दिसंबर: विलंबित या संशोधित आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख।

  • 31 मार्च (चौथे वर्ष का): असेसमेंट ईयर खत्म होने के बाद एक अपडेटेड रिटर्न फाइल करने का अंतिम मौका।

अगर आप इन तारीखों का ध्यान रखेंगे तो न केवल सही टैक्स रिजीम का चुनाव कर पाएंगे, बल्कि लेट फीस और अन्य दंडों से भी बच सकेंगे।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • अगर आप नियमित रूप से टैक्स बचत योजनाओं में निवेश करते हैं, तो पुरानी टैक्स रिजीम आपके लिए फायदेमंद हो सकती है।

  • अगर आपके पास सीमित कटौती योग्य खर्चे या निवेश हैं, तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए अधिक बेहतर विकल्प हो सकता है।

  • हर साल अपनी इनकम, निवेश और खर्चों का विश्लेषण करके सही रिजीम का चुनाव करें।

  • टैक्स रिजीम बदलने का फैसला जल्दबाजी में न लें। एक टैक्स सलाहकार से सलाह लेना भी उपयोगी हो सकता है।

निष्कर्ष

अगर आपने पहले अपने एंप्लॉयर को पुरानी टैक्स रिजीम के लिए निर्देश दिया था लेकिन अब आपको नई टैक्स रिजीम ज्यादा लाभकारी लग रही है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप अपना आईटीआर भरते समय अपनी पसंद को बदल सकते हैं और सही विकल्प अपना सकते हैं। बस ध्यान रहे कि आप सही समय पर सही निर्णय लें ताकि किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके।

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