भारत और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर में खेला जा रहा चौथा टेस्ट मैच कई मायनों में ऐतिहासिक बन गया है। इस मैच में युवा तेज़ गेंदबाज़ अंशुल कंबोज को भारतीय टीम के लिए टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण का मौका मिला, जिससे क्रिकेट के मैदान पर उनका 35 साल का इंतज़ार खत्म हुआ। आपको बता दें कि अंशुल को इस मैच में आकाशदीप सिंह की जगह मौका मिला।
कंबोज ने 35 साल का इंतज़ार खत्म किया
कंबोज को टेस्ट कैप मिलना न सिर्फ़ उनके लिए, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए भी एक ख़ास पल है। इससे पहले, 1990 में, इसी मैनचेस्टर मैदान पर भारतीय टीम के एक और दिग्गज खिलाड़ी अनिल कुंबले ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था। कुंबले ने बाद में भारतीय क्रिकेट में एक बेहतरीन स्पिनर के रूप में अपनी पहचान बनाई और अब अंशुल कंबोज उन्हीं के नक्शेकदम पर चलते हुए अपने टेस्ट करियर की शुरुआत कर रहे हैं।
इसके अलावा, दोनों खिलाड़ियों के बीच एक और दिलचस्प समानता है। अनिल कुंबले ने 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए एक पारी में सभी 10 विकेट लिए थे, जबकि अंशुल कंबोज ने भी 2024 में केरल के खिलाफ प्रथम श्रेणी क्रिकेट में यह दुर्लभ उपलब्धि हासिल की है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि कंबोज में भी कुंबले की तरह मैच जिताने की क्षमता है और वह लंबी रेस के घोड़े साबित हो सकते हैं।
अंशुल से प्रशंसकों को उम्मीदें
अंशुल कंबोज के पदार्पण से भारतीय टीम को एक नए तेज गेंदबाजी विकल्प के साथ मजबूती मिली है। मैनचेस्टर की पिच पर तेज गेंदबाजों को मिल रहे समर्थन को देखते हुए, कंबोज की मौजूदगी टीम के लिए अहम साबित हो सकती है। प्रशंसकों को उम्मीद है कि वह अपने पहले ही मैच में शानदार प्रदर्शन कर भारतीय टीम को यह मैच जिताने में अहम भूमिका निभाएंगे।