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indian Railways: ट्रेन से सफर करने वाले 99% यात्रियों को नहीं पता RAC टिकट का सही मतलब, क्या आप जानते हैं?

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भारत में अगर लंबी दूरी की यात्रा करनी हो तो ट्रेन आज भी सबसे भरोसेमंद और किफायती विकल्प है। रोज़ाना लाखों लोग ट्रेन से सफर करते हैं, लेकिन टिकट की भारी मांग के कारण कंफर्म सीट मिलना हमेशा आसान नहीं होता। ऐसे में कई बार लोगों को RAC टिकट के जरिए ही यात्रा करनी पड़ती है। हालांकि, बहुत से यात्रियों को इस टिकट की असल प्रकृति और इसके नियमों की जानकारी नहीं होती। आइए जानते हैं कि RAC टिकट क्या होता है, इसमें क्या सुविधाएं मिलती हैं, और रेलवे इससे पूरा किराया क्यों लेता है।

RAC टिकट क्या होता है?

RAC का पूरा मतलब है: Reservation Against Cancellation। इसका सीधा अर्थ है कि आपका टिकट वेटिंग लिस्ट से आगे बढ़कर एक विशेष श्रेणी में आ गया है, जहां आपको ट्रेन में सफर करने की अनुमति मिलती है। हालांकि, इसमें आपको पूरी सीट नहीं बल्कि आधी सीट मिलती है।

रेलवे RAC टिकटधारकों को साइड लोअर सीट साझा करने की सुविधा देता है। यानी एक ही सीट दो यात्रियों को दी जाती है। दिन में दोनों यात्री उस सीट पर बैठ सकते हैं, लेकिन रात में दोनों को मिलकर वही सीट साझा करनी होती है। यह व्यवस्था थोड़ी असुविधाजनक हो सकती है, लेकिन पूरी तरह वेटिंग से तो बेहतर ही है।

RAC टिकट में कंफर्म सीट मिलने की संभावना

RAC टिकट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे सफर की अनुमति मिलती है, और साथ ही सीट कंफर्म होने की उम्मीद भी बनी रहती है। अगर किसी कंफर्म टिकटधारी यात्री ने यात्रा नहीं की या टिकट रद्द कर दी, तो उस सीट को RAC यात्री को दे दिया जाता है। यही वजह है कि वेटिंग टिकट की तुलना में RAC टिकट लेना ज्यादा फायदेमंद होता है।

आधी सीट फिर भी पूरा किराया क्यों?

यह सवाल लगभग हर RAC यात्री के मन में आता है कि जब उन्हें आधी सीट दी जा रही है तो रेलवे पूरा किराया क्यों वसूलता है? इसके पीछे रेलवे का साफ तर्क है कि किराया सिर्फ सीट का नहीं, बल्कि पूरी यात्रा सेवा का होता है। जैसे फ्लाइट या बस में सीट मनपसंद न मिलने पर भी किराया कम नहीं होता, वैसे ही ट्रेन में भी यात्रियों से संपूर्ण सुविधा का शुल्क लिया जाता है।

साथ ही, यदि यात्रा के दौरान आपकी RAC सीट कंफर्म हो जाती है, तो रेलवे कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेता। यदि रेलवे यात्रा के बीच में किराया समायोजन करने लगे, तो इससे टिकटिंग प्रक्रिया और भी जटिल हो जाएगी, जिसे संभालना आसान नहीं होगा।

किन कोच में मिलती है RAC सीट?

RAC टिकट मुख्य रूप से स्लीपर और थर्ड AC कोच में जारी किए जाते हैं। हर कोच में औसतन 12 से 14 RAC टिकटधारकों को साइड लोअर सीट साझा करने की सुविधा मिलती है। कभी-कभी यात्रियों को यह नहीं पता होता कि एक सीट दो लोगों की होती है, जिससे विवाद या बहस की स्थिति बन सकती है।

रेलवे के नियम के अनुसार, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक सोने का समय माना जाता है। इस दौरान अगर किसी यात्री की अपर सीट है, तो उसे अपनी जगह पर जाकर सोना चाहिए ताकि नीचे वाली सीट पर दोनों RAC यात्री आराम से लेट सकें। अगर कोई यात्री ऐसा नहीं करता है, तो इसकी शिकायत TTE से की जा सकती है

RAC टिकट लेना सही है या नहीं?

अगर आपकी वेटिंग लिस्ट लंबी है और कंफर्म टिकट मिलने की उम्मीद कम है, तो RAC टिकट लेना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है। इसमें आपको ट्रेन में चढ़ने की अनुमति मिल जाती है, बैठने के लिए जगह भी मिलती है और कंफर्म सीट मिलने की संभावना भी बनी रहती है।

RAC टिकट से जुड़ी जानकारी अगर पहले से हो, तो आपका सफर ज्यादा सुविधाजनक और तनाव-मुक्त हो सकता है। अगली बार जब भी ट्रेन टिकट बुक करें और कंफर्म सीट न मिले, तो RAC विकल्प पर जरूर विचार करें।

निष्कर्ष:
RAC टिकट ट्रेन यात्रा के लिए एक उपयोगी विकल्प है, खासकर तब जब कंफर्म सीट मिलना मुश्किल हो। रेलवे इसके बदले पूरा किराया इसलिए लेता है क्योंकि यह सिर्फ सीट का नहीं, बल्कि यात्रा की संपूर्ण सेवाओं का शुल्क होता है। थोड़ी असुविधा के बावजूद यह टिकट यात्रा के लिए एक सुरक्षित और वैध विकल्प प्रदान करता है।

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